Car alloy wheels vs steel wheel details in hindi: कार में अलॉय व्हील उसके लुक्स को एन्हांस करते हैं। कंपनी टॉप वेरिएंट कारों में खुद से ही अलॉय व्हील देती है। वहीं, आफ्टर मार्केट में भी अलॉय व्हील के कई ऑप्शन अवेलेबल हैं। लोग गाड़ियों का बेस वेरिएंट लेते हैं और शौक के लिए उसमें टॉप वेरिएंट के अलॉय व्हील डलवाते हैं। जानकारों के अनुसार अलॉय व्हील हो या स्टील व्हील कार के राइड एक्सपीरियंस और पावरट्रेन दोनों पर इसके अपने फायदे और नुकसान हैं।
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अलॉय व्हील में कई कलर ऑप्शन और डिजाइन
अलॉय व्हील में कई कलर ऑप्शन और डिजाइन आते हैं, यह एल्यूमीनियम और मैग्नीशियम से बनते हैं। अलॉय व्हील वजन में हल्के होते हैं और चलते हुए पैसेंजर्स को बेहद स्मूथ राइड का Feel मिलता है। लेकिन ऊबड़-खाबड़ रास्तों में इनमें दरार आने का खतरा रहता है। अगर एक व्हील में क्रैक आ जाए तो उसके बदलने का खर्च स्टील व्हील के मुकाबले ज्यादा होता है। इसके अलावा वजन कम होने के चलते अलॉय व्हील से माइलेज इम्प्रूव करने में मदद मिलती है। अलॉय व्हील heat को एब्जॉर्ब करते हैं।
स्टील व्हील जल्दी से खराब नहीं होते
स्टील व्हील अलॉय व्हील के मुकाबले जल्दी से खराब नहीं होते हैं। इनमें जंग लगने का खतरा कम होता है। स्टील व्हील की कीमत कम होती है। स्टील व्हील खराब होने पर कहीं भी आसानी से मार्केट में मिल जाते हैं। स्टील व्हील अलॉय के मुकाबले अधिक स्ट्रांग होते हैं। लेकिन इनमें अधिक वजन होता है। जिससे कार की ब्रेकिंग सिस्टम पर असर पड़ता है। स्टील में लिमिटेड डिजाइन मिलते हैं। अलॉय व्हील में व्हील बैलेंसिंग ज्यादा अच्छी होती है।
अलॉय व्हील रिपेयर नहीं होते हैं
अलॉय व्हील एक बार खराब होने पर रिपेयर नहीं होते हैं। जबकि स्टील व्हील या स्पोक व्हील मुड़ने या टूटने के बाद उनकी मरम्मत की जा सकती है। जानकारों की मानें तो अलॉय व्हील में वहीं साइज के टायर लगवाने चाहिए जो कंपनी से कार के साथ आए हों। अक्सर स्टाइलिश लुक्स के चक्कर में हम चौड़े या अधिक नंबर के टायर लगवा लेते हैं जिससे कार की माइलेज और सस्पेंशन पर दबाव असर पड़ता है।