---विज्ञापन---

भीष्म पितामह को किसने दिया था ‘इच्छा मृत्यु’ का वरदान? जानें क्यों पड़े रहे 58 दिनों तक मृत्यु शैय्या पर

Bhishma Pitamah Wishful Death: भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक माने जाते हैं। इनके पिता शांतनु, हस्तिनापुर के नरेश थे। जबकि इनकी माता का नाम गंगा था। यही वजह है कि भीष्म को गंगा पुत्र कहा जाता है। गंगा पुत्र भीष्म से जुड़ी कई रोचक कथाएं प्रचलित है। कहा जाता है का […]

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Sep 18, 2023 13:04
Share :
Bhishma Pitamah
Bhishma Pitamah

Bhishma Pitamah Wishful Death: भीष्म पितामह महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक माने जाते हैं। इनके पिता शांतनु, हस्तिनापुर के नरेश थे। जबकि इनकी माता का नाम गंगा था। यही वजह है कि भीष्म को गंगा पुत्र कहा जाता है। गंगा पुत्र भीष्म से जुड़ी कई रोचक कथाएं प्रचलित है। कहा जाता है का भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, यानि ये अपनी इच्छा के अनुसार मृत्यु को वरण कर सकते थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भीष्ण पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान किसने दिया था? अगर नहीं, तो चलिए इस आर्टिकल में हम आपको बताते हैं कि आखिर भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान किसने दिया था और ये कई दिनों तक बाणों की शैय्या पर क्यों पड़े रहे।

भीष्म पितामह को किसने दिया इच्छा मृत्यु का वरदान?

 

---विज्ञापन---

पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार शांतनु आखेट (शिकार) पर निकते तो वे इस क्रम में बहुत दूर चले गए। जिसके बाद शाम हो गई और अंधेरा होने की वजह से वे वापस नहीं लौट सके। उस वक्त उन्हें जंगल में एक विश्राम स्थल मिला। जहां विश्राम के दौरान उनकी मुलाकात सत्यवती से हुई। जिसके बाद दोनों एक दूसरे को मन ही मन चाहने लगे। अगले दिन राजा शांतनु ने सत्यवती के पिता के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। जिसे सत्यवती ने सशर्त स्वीकार कर लिया। विवाह के लिए सत्यवती की शर्त ये थी कि हस्तिनापुर का नरेश (राजा) उनका ही पुत्र होगा। कहते हैं कि इस ईच्छा की पूर्ति के लिए भीष्म पितामह ने आजीवन विवाह ना करने की कठोर प्रतिज्ञा ली। इस त्याग के कारण ही उनके पिता ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था।

यह भी पढ़ें: Ganesh Chaturthi 2023 Mistakes: गणेशजी को भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, पूजन के दौरान इन गलतियों से रहें बचकर

---विज्ञापन---

58 दिनों तक बाणों की शैय्या पर क्यों पड़े रहे?

महाभारत युद्ध के दसवें दिन तक भीष्म पितामह भीषण युद्ध करते रहे और स्वयं उनके द्वारा अपनी मृत्यु का उपाए बताने के बाद अर्जुन ने उसी दिन उन पर बाणों की वर्षा कर दी। जिसके परिणामस्वरूप वे घायल होकर बाणो की शैय्या पर लेट गए। इस तरह 58 दिनों तक वे उस कष्टदायी शैय्या पर जीवित रहे। इच्छा मृत्यु का वरदान रहते हुए भी वे इतने दिनों तक ये कष्ट इसलिए भोगते रहे क्योकिं वे जानते थे कि सूर्य उत्तरायण के दिन मृत्यु को प्राप्त होने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए उन्होंने अपनी इच्छा से सूर्य उत्तरायण के दिन प्राण त्याग दिए।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

HISTORY

Written By

Dipesh Thakur

First published on: Sep 18, 2023 12:58 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें