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एक मंदिर जहां मुकेश अंबानी भी लगाते हैं हाजिरी, मंदिर का चमत्कार कर देगा आपको हैरान

Shrinathji Temple: पीएम मोदी जब-जब राजस्थान का दौरा करते हैं, श्रीनाथजी के दरबार में आना नहीं भूलते। चुनावी दौरे में भी समय निकालकर पीएम मोदी श्रीनाथ के दरबार में जरूर हाजिरी लगाते हैं। आम आदमी से लेकर खास लोगों तक, सभी का इस मंदिर से गहरा नाता है। श्रीनाथ मंदिर में करोड़ों लोगों की आस्था […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Sep 2, 2023 19:10
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Shrinathji Temple: पीएम मोदी जब-जब राजस्थान का दौरा करते हैं, श्रीनाथजी के दरबार में आना नहीं भूलते। चुनावी दौरे में भी समय निकालकर पीएम मोदी श्रीनाथ के दरबार में जरूर हाजिरी लगाते हैं। आम आदमी से लेकर खास लोगों तक, सभी का इस मंदिर से गहरा नाता है। श्रीनाथ मंदिर में करोड़ों लोगों की आस्था है और पूरे वर्ष भक्तों का यहां आना लगा रहता है, जिसमें मुकेश अंबानी भी शामिल है।

अंबानी परिवार किसी भी शुभ कार्य से पहले यहां दर्शन करने जरूर आते हैं। अपनी बेटी की शादी का पहला न्योता भी अंबानी परिवार ने श्रीनाथ जी को दिया था। अरावली की गोद में बनास नदी के किनारे नाथद्वारा में श्रीनाथ जी का भव्य मंदिर है। नाथद्वारा को श्रीनाथजी की नगरी भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण एक हवेली नुमा घर में रहते हैं।

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नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथजी के मंदिर को कई चमत्कारों के लिए जाना जाता है। वह खुद भगवान विष्णु के अवतार हैं। पौराणिक मान्यता है कि जब कृष्ण सात साल के थे तो यहां पर विराजमान हुए थे। इस मंदिर में मौजूद श्रीकृष्ण के काले रंग की मूर्ति को एक ही पत्थर से बनाया गया है और ये अपने आप में सभी को अचंभित करता है। मान्यता है कि भगवान यहां भक्तों को चावल के दानों में दर्शन देते हैं इसीलिए भक्त यहां अपने साथ चावल लेकर जाते हैं। श्रीनाथ जी के दर्शन के बाद भक्त इन चावल के दानों को अपनी तिजोरी में रखते हैं ताकि घर में कभी धन की कमी ना हो।

श्रीनाथ जी ने तोड़ा औरंगजेब का घमंड (Shrinathji Temple Story)

इस मंदिर का इतिहास भी किसी चमत्कार से भी कम नहीं है। कहा जाता है कि औरंगजेब ने जब इस मंदिर को तुड़वाने की कोशिश की थी तब भगवान ने उसे मौके पर ही सबक सिखा दिया था। मुगल शासक औरंगजेब के बारे में इतिहास में ये प्रमाण भी मिलते हैं कि वो मूर्ति पूजा का विरोधी था। उसने देश के एक नहीं कई मंदिरों को तुड़वा दिया था। औरंगजेब मथुरा में बालरूप श्रीनाथ जी की मूर्ति को भी तोड़ना चाहता था।

उसके आदेश पर मथुरा जिले में स्थित श्रीनाथ जी के मंदिर को तोड़ने का काम भी शुरू किया जा चुका था। लेकिन बताया जाता है कि इससे पहले की औरंगजेब के सिपाही भगवान की मूर्ति को तोड़ पाते या कोई क्षति पहुंचा पाते, मंदिर के पुजारी दामोदर दास वैरागी मूर्ति को मंदिर से बाहर निकालकर ले गए। उन्होंने श्रीनाथ की मूर्ति को बैलगाड़ी में रखा और उसके बाद कई राजाओं से आग्रह किया कि श्रीनाथजी का मंदिर वहां स्थापित किया जाए। लेकिन औरंगजेब के डर से उस वक्त किसी से इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया।

आखिरकार दामोदर दास वैरागी ने मेवाड़ के राजा राणा सिंह के पास ये संदेश भिजवाया। बड़ी बात ये थी कि उन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया। राणा राज सिंह ने खुलकर औरंगजेब को चुनौती दी और कहा कि उनके रहते हुए बैलगाड़ी में रखी श्रीनाथ जी की मूर्ति को कोई छू तक नहीं सकता। फरवरी 1672 को मंदिर का निर्माण पूरा हुआ और श्रीनाथ जी की मूर्ति को विधि विधान से स्थापित किया गया।

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औरंगजेब को दिखाया चमत्कार

औरंगजेब की नजर इस मंदिर पर आगे भी बनी रही। एक बार अपनी सेना को लेकर औरंगजेब मंदिर को तोड़ने पहुंच गया लेकिन जैसे ही वो मंदिर की सीढ़ियों पर वो चढ़ने लगा उसकी आंखों की रोशनी कम होने लगी। इस घटना से वह बहुत डर गया, भयभीत होकर उसने तुरंत श्रीनाथ जी से अपने पापों के लिए क्षमा मांगी। इसके बाद उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। वह तुरंत ही अपनी सेना समेत उल्टे पांव लौट गया।

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी औरंगजेब की मां को लगी तो उसने एक अमूल्य हीरा श्रीनाथजी के श्रृंगार के लिए अर्पित कर दिया। इसी का नतीजा है कि जब भी कोई आम या खास आदमी मेवाड़ की धरती पर कदम रखता है तो नाथद्वारा आना कभी नहीं भूलता।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Sep 02, 2023 07:10 PM

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