Ram Katha Shri Ram Jatayu Interesting Story: अयोध्या में श्रीराम के भव्य मंदिर का उद्घाटन मंगलवार को होने जा रहा है। रामभक्तों को इस शुभ घड़ी का वर्षों से इंतजार था और अब यह शुभ घड़ी नजदीक आ गई। वैदिक रीति रिवाज और परंपराओं का पालन करते हुए अयोध्या में प्रतिदिन उद्घाटन और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से संबंधित कार्यक्रम संपन्न किए जा रहे हैं। वहीं हम लोग भी इसी संदर्भ में प्रतिदिन राम सिया राम…की कड़ी में रामचरित मानस के रोचक-रोचक किस्से और कहानियां आप लोगों के साथ शेयर कर रहे हैं। आइए पढ़ें आज भी श्रीराम चरित मानस से जुड़ा एक ऐसा ही रोचक किस्सा…
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माता जानकी जी के हरण के बाद जब लंकापति रावण माता सीता जी को लेकर लंका पहुंच गया तो उसके बाद वानरों की सेना ने चारों दिशाओं में माता की खोज शुरू कर दी। वहीं दक्षिण दिशा में माता की खोज का जिम्मा युवराज अंगद के नेतृत्व वाली वानर सेना को दिया गया। इस सेना में ऋक्षराज जामवंत के साथ-साथ नल-नील और हनुमान जी भी शामिल थे। वनों और पर्वतों को पार करते हुए यह दल माता सीता की खोज में सागर तक पहुंच गया, लेकिन माता का कहीं पता ना चला।
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थक हारकर पूरा दल समुद्र के किनारे बैठ गया और सभी लोग विचार करने लगे कि महाराज सुग्रीव की ओर से अभियान के लिए दी गई अवधि भी समाप्त हो गई और माता सीता का अभी कुछ पता नहीं कि मां कहां और किस हाल में हैं। सभी लोग इस विषय में विचार कर ही रहे थे कि वहां गिद्धों का राजा और जटायु का बड़े भाई संपाति एक पर्वत की कंदरा में बैठे हुए वानरों की सभी बातें सुन रहे थे।
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इसी बातचीत के दौरान जब वानरों के मुख से संपाति ने जटायु का नाम सुना तो अहित की आशंका से उसने वानरों को अपने पास बुलाया और कहा कि आप लोग जटायु के बारे में बातें क्यों कर रहे हैं। मैं जटायु का बड़ा भाई हूं और मुझे कुछ अहित की आशंका हो रही है। इसके बाद हनुमान आदि वानरों ने संपाति को जटायु के वीरगति को प्राप्त होने के बारे में बताया।
साथ ही उन्होंन कहा कि रावण माता सीता को हर कर ले गया है और जब गिद्धराज जटायु ने उसे रोकने की कोशिश की तो उसने जटायु का वध कर दिया। साथ ही उन्होंने बताया कि जटायु की श्रीराम के पिता महाराज दशरथ से मित्रता थी और श्रीराम ने उनका पिता के समान ही अंतिम संस्कार किया।
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