Kharmaas 2023 Dos and Donts: ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति तिथि का बेहद खास महत्व है। दरअसल यह तिथि ग्रहों के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव को समर्पित है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान किए जाते हैं। ऐसा करने से जाने-अनजाने में किए गए पाप धुल जाते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास शुरू हो जाता है। इस दौरान कुछ कार्य निषेध माने गए हैं। आइए जानते हैं कि खरमास के दौरान क्या नहीं करना चाहिए।
धनु संक्रांति यानी खरमास का क्या है महत्व?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है। यह स्थिति तकरीबन एक महीने तक रहती है। फिर जब सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो शुभ कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाता है। पंचांग के अनुसार, धनु खरमास की शुरुआत 17 नवंबर यानी कल से होगी।
धनु संक्रांति में विवाह क्यों नहीं किया जाता
विवाह एक पवित्र बंधन है। जिसका उद्देश्य सुख और समृद्धि प्राप्त करना है। सूर्य का धनु राशि में होना सुख-समृद्धि के लिए सही नहीं माना जाता है। ऐसे में अगर इस दौरान विवाह किया जाता है तो न तो भवनात्मक सुख की प्राप्ति होती है और न ही शारीरिक सुख। इतना ही नहीं हर तरह भाग्य कमजोर होने की स्थति बनी रहती है।
धनु खरमास में क्या न करें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कोई भी नया व्यवसाय शुरू नहीं करना चाहिए। दरअसल ऐसा करने से काफी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। साथ ही साथ फिजूलखर्ची भी बढ़ने लगती है। जो कार्य शुरू किए जाते हैं, उसमें हमेशा आर्थिक नुकसान होता रहता है। ऐसे में खरमास के दौरान ऐसा नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ें: छठ पूजा के आखिरी दिन क्या नॉनवेज खा सकते हैं? जानें शास्त्रीय नियम
नया मकान न बनाएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार, खरमास के दौरान नया मकान नहीं बनवाना चाहिए। अगर ऐसा किया भी जाता है तो वह बाधाओं के कारण रुक जाता है। साथ ही साथ दुर्घटना की संभवना बनी रहती है। इसके अलावा भवन सुख भी प्राप्त नहीं हो पाता है।
धनु खरमास में कौन से कार्य कर सकते हैं?
ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, धनु खरमास में प्रेम विवाह किया जा सकता है। इसके अलावा अगर कुंडली में गुरु धनु राशि में हो तो इस अवधि में शुभ कार्य किए जा सकते हैं। धनु खरमास में वे सभी कार्य किए जा सकते हैं जो नियमित रूप से किए जाते हैं। इस दौरान अन्नप्राशन, जातकर्म, सीमांत इत्यादि कार्य पूर्व निर्धारित होने पर किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, इस दौरा गया में श्राद्ध कर्म भी किया जा सकता है। शास्त्रों में इसका निषेध नहीं बताया गया है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।