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Gupt Navratri: कल से गुप्त नवरात्रि आरंभ, ऐसे करेंगे मां की पूजा तो मनचाहा वर मिलेगा

Gupt Navratri: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चार नवरात्रियां आती हैं। इनमें से दो नवरात्रि प्रकट तथा दो गुप्त नवरात्रि होती है। आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि इस बार 19 जून 2023 (सोमवार) से आरंभ हो रही है। गुप्त नवरात्रि में देवी के दस महाविद्या स्वरुपों की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों […]

Gupt Navratri: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चार नवरात्रियां आती हैं। इनमें से दो नवरात्रि प्रकट तथा दो गुप्त नवरात्रि होती है। आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि इस बार 19 जून 2023 (सोमवार) से आरंभ हो रही है। गुप्त नवरात्रि में देवी के दस महाविद्या स्वरुपों की आराधना की जाती है। इन नौ दिनों को तंत्र-मंत्र संबंधी कार्यों के लिए विशेष शुभ माना गया है। यही कारण है कि बहुत से प्रकार के तांत्रिक अनुष्ठान भी इस समय किए जाते हैं।

गुप्त नवरात्रि पर घटस्थापना के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त (Gupt Navratri Puja Muhurat)

ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार सोमवार सुबह 5.33 बजे से 7.17 बजे तक अमृत का चौघड़िया रहेगा। सुबह 9.01 बजे से 10.44 बजे तक शुभ का चौघड़िया रहेगा। सायं 5.39 बजे से 7.23 बजे तक अमृत का चौघड़िया रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 2.47 बजे से 3.42 बजे तक एवं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.01 बजे से 12.56 बजे तक रहेगा। अमृत काल सुबह 9.19 बजे से 11.03 बजे तक रहेगा। इस प्रकार इनमें से किसी भी शुभ मुहूर्त में अपनी सुविधानुसार आप घटस्थापना कर सकते हैं। यदि आप रात्रि में पूजा करना चाहते हैं तो उसके लिए भी समय सही चुन सकते हैं। यह भी पढ़ें: इन नियमों से करें मां भगवती की पूजा तो पूरी होगी मनोकामनाएं

कैसे करें देवी आराधना (Gupt Navratri Puja Vidhi)

भगवती के दस महाविद्या स्वरूप उनकी अलग-अलग 10 शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनकी शुरूआत मां काली से होती है तथा पूर्णता मां त्रिपुरसुंदरी तक जा पहुंचती है। इन स्वरूपों में से कुछ स्वरूप मोक्ष देने वाले हैं, कुछ स्वरुपों से सांसारिक भोगों की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार देवी के कुछ स्वरूप सांसारिक भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करते हैं। इन स्वरूपों की पूजा से आध्यात्मिक और तांत्रिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। यह भी पढ़ें: भगवान नृसिंह के इस मंत्र का सिर्फ 51 बार करें पाठ, 21 दिन में होगी हर इच्छा पूरी सुबह जल्दी उठ कर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें। शुभ मुहूर्त में गणपति की पूजा करें, कलश स्थापना करें। इसके बाद अपने इष्टदेव और गुरुदेव का ध्यान कर उनसे मन ही मन आशीर्वाद लें। भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लें। अंत में आप जिस भी स्वरूप की पूजा करना चाहते हैं, उनकी पूजा करें। उनके मंत्र का नियमानुसार जप करें तथा गुप्त नवरात्रि संबंधी अनुष्ठान संबंधी सभी नियमों का पालन करें। इस प्रकार यह पूजा पूरी होती है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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