Russia Ukraine Conflict Ending: डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की कोशिश में लगे हुए हैं। अब इस मामले में सऊदी अरब भी एक बड़ी भूमिका निभाता नजर आ रहा है। अमेरिका-रूस ने मंगलवार को सऊदी अरब में कीव या यूरोपीय संघ के बिना मुलाकात की। यूक्रेन में युद्ध खत्म करने की दिशा तलाशने के लिए सऊदी अरब ने अमेरिका और रूस के बीच पहली बैठक की मध्यस्थता की। इस बैठक का मकसद दोनों देशों के बीच आम सहमति बनाना था कि किस तरह यूक्रेन-रूस के बीच संघर्ष पर विराम लग सकता है। बैठक खत्म होने के बाद रूस और अमेरिका की तरफ से प्रतिक्रिया भी आई है। रूस ने कहा कि ये कहना फिलहाल मुश्किल है कि युद्ध पर विराम लगाने की दिशा में दोनों देश करीब आ रहे हैं।
सऊदी अरब में 4 घंटे चली बैठक
सऊदी अरब में यह बैठक 4 घंटे चली। इस बैठक में माना जा रहा था कि बहुत ही जल्द राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी द्विपक्षीय वार्ता का रास्ता साफ होगा लेकिन, इस पर कोई सहमति नहीं बनी। रूसी राष्ट्रपति पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव (Yuri Ushakov) ने कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल को मिलकर काम करने की जरूरत है। हम इसके लिए तैयार हैं लेकिन, दोनों नेताओं की बैठक की निश्चित तारीख के बारे में बात करना अभी भी कठिन है। मंगलवार को अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने यूक्रेन में संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने के लिए काम शुरू करने हेतु संबंधित उच्च स्तरीय टीमों की नियुक्ति पर सहमति जताई।
अमेरिका-रूस हाई लेवल टीम बनाने पर राजी
अमेरिकी न्यूज एजेंसी Associated Press ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के हवाले से बताया कि अमेरिका-रूस के अधिकारी यूक्रेन में शांति और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने को लेकर बातचीत के लिए हाई लेवल टीम बनाने पर राजी हुए हैं। रुबियो ने कहा कि दोनों पक्ष मोटे तौर पर 3 चीजों पर सहमत हुए हैं। इसमें वाशिंगटन और मॉस्को में अपने-अपने दूतावासों में स्टाफ की बहाली, यूक्रेन शांति वार्ता का समर्थन करने के लिए एक हाई लेवल टीम का गठन और मजबूत संबंधों एवं आर्थिक सहयोग की संभावनाएं तलाशना शामिल है।
अमेरिकी प्रतिनिधि ने बताया कि संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने को लेकर बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देश एक हाई-लेवल टीम का गठन करेंगे। यह टीम स्थायी होगा और सभी पक्षों को स्वीकार होगा। आसान भाषा में कहें तो इस टीम पर जंग खत्म करने के लिए दिशा तलाशने, दोनों देशों को सहमत करने और रूस-यूक्रेन के बीच समझौते पर एक्सेप्टेबिलिटी (स्वीकार्यता) हासिल करने जैसी जिम्मेदारियां होंगी।
डोनाल्ड ट्रंप ही रोक सकते हैं युद्ध: टैमी ब्रूस
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने वार्ता को लेकर कहा कि अमेरिका हत्याओं पर विराम लगाना चाहता है और दुनिया में अपनी ताकत का इस्तेमाल देशों को एक साथ लाने के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही एक ऐसे नेता हैं जो रूस और यूक्रेन की जंग को खत्म करा सकते हैं।
डोनाल्ड ट्रंप को क्या होगा फायदा?
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका समेत पूरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि सिर्फ वे शांति चाहते हैं। वे दुनिया के सामने मौजूद हर संकटों का समाधान करने में सक्षम हैं। पहले उन्होंने इजरायल-हमास सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश की और अब यूक्रेन संकट खत्म कराने का श्रेय लेना चाहते हैं। डोनाल्ड ट्रंप पहले भी व्लादिमीर पुतिन की तारीफ कर चुके हैं और रूस के साथ बेहतर संबंधों की वकालत करते रहे हैं। अगर वे युद्ध खत्म करवा देते हैं तो रूस के साथ संबंध में सुधार सकते हैं, जिससे ऊर्जा और व्यापार में फायदा हो सकता है। ट्रंप अगर युद्ध खत्म करवाने में सफल हो जाते हैं तो उनकी छवि एक मजबूत वैश्विक नेता के रूप में बनेगी। इससे अमेरिका को वैश्विक शक्ति के रूप में और मजबूती मिल सकती है। उन्हें शांति का मसीहा माना जा सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका-रूस के दूतावासों को कई सालों के दौरान बड़ी संख्या में राजनयिकों के निष्कासन से भारी नुकसान हुआ है। इसकी वजह से दोनों देशों के संबंधों में खटास आई। अमेरिका ने यूरोपीय देशों के साथ मिलकर रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए हैं।
जेलेंस्की ने रद्द किया सऊदी का दौरा
रूस और अमेरिका के बीच सऊदी अरब में हुई चर्चा के के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की ने सऊदी दौरा रद्द कर दिया है। जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन की गैरमौजूदगी में कोई भी फैसला उन्हें स्वीकार नहीं है। जेलेंस्की ने कहा कि वह 10 मार्च तक अपना दौरा रद्द कर रहे हैं। जेलेंस्की ने कहा कि युद्ध को खत्म करने का कोई भी फैसला यूक्रेन की भागीदारी के बिना नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा नाटो सदस्यता प्रदान करने पर असहमति रूस की मंशा से मेल खाती है। उनके मुताबिक, कोई भी पक्ष युद्ध के मैदान में विजयी नहीं हो सकता और यही कारण है कि बातचीत और सहयोग की जरूरत है।