यूरोप से लेकर एशिया तक फैलाया था साम्राज्य
356 बीसी (बिफोर क्राइस्ट) में मैसोडोनिया में जन्मा सिकंदर सिर्फ 20 वर्ष की उम्र में ग्रीस का राजा बन गया था। तेजतर्रार शासक सिकंदर ने राजा बनने के साथ दुनिया को जीतने का सपना देखा था और वह उसकी इच्छाशक्ति ही थी कि सिकंदर ने यूरोप फतह करने के बाद अपना साम्राज्य पाकिस्तान (यह 1947 से पहले तक भारता का हिस्सा था) अफगानिस्तान के साथ ही मिश्र, ईरान और ईराक तक अपना साम्राज्य फैला लिया था।सैन्य रणनीति में माहिर था सिकंदर
अरस्तु को अपना गुरु मानने वाला सिकंदर खुद एक बेहतरीन सैनिक था। ग्रीस की सत्ता संभालने के साथ ही वह लगातार युद्ध लड़ने और साम्राज्य का विस्तार करने में लगा रहा। कहा जाता है कि सिकंदर एक अच्छा वक्ता भी था, इसलिए वह युद्ध से पहले अपने भाषणों से अपने सैनिकों में इस कदर जोश भर देता था कि वे दुश्मन पर कहर बनकर टूट पड़ते थे। यही वजह थी कि सिकंदर ने कभी हार नहीं मानी और उसके सैनिक भी अपने शासक की बात 100 प्रतिशत मानते थे। सिकंदर की फतह में उसके बहादुर सैनिकों की अहम भूमिका होती थी। सिकंदर खुद युद्ध का संचालन करता था और वह सेनापति की भूमिका में रहकर सैनिकों के हौसले बढ़ाता था।भारत में मिली थी हार, लेकिन इतिहासकार नहीं मानते
दुनिया जीतने की तमन्ना रखने वाले सिकंदर ने भारत विजय का भी सपना देखा था, लेकिन वह हार गया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि सिकंदर का आक्रमण कभी भारत में हुआ ही नहीं, क्योंकि वह बिना युद्ध लड़े ही वापस लौट गया था। सिकंदर भारत के करीब पहुंचा जरूर था, लेकिन सिंधु नदी पार करने की इच्छाशक्ति नहीं जुटा पाया। दरअसल, उसके सैनिक भी भारत में आकर लड़ने के अनिच्छुक थे। यह भी एक सत्य है कि भारत के मुहाने पर खड़े सैनिक सिंधु नदी पार करना ही नहीं चाहते थे या फि लड़ने की इच्छा ही मर चुकी थी। ऐसे में सिकंदर का जोशीला भाषण में उनका हौसला नहीं बढ़ा पाया।पोरस और सिकंदर में दोस्ती
कहा जाता है कि 326 ईसा पूर्व में सिकंदर और पोरस के बीच युद्ध हुआ था। इससे पहले तक्षशिला के शासक ने सिकंदर के सामने हार मान ली थी और पोरस पर आक्रमण के लिए कहा था। बताया जाता है कि सिकंदर के पास 50,000 के करीब सैनिक थे, वहीं पोरस के सैनिकों की संख्या सिर्फ 20,000 के आसपास थी। बताया जाता है कि इस मुश्किल घड़ी में पोरस ने सिकंदर की सेना के सामने अपनी सेना के हाथी खड़े कर दिए। इसको लेकर सिकंदर हैरान रह गया, क्योंकि युद्ध के दौरान पोरस का यह चौंकाने वाला निर्णय था। आखिरकार पोरस की हार के बाद उन्हें सिकंदर के सामने पेश किया गया। इस दौरान सिकंदर ने पूछा कि तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार किया जाए? इस पर पोरस ने कहा था कि जैसा एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है। इस उत्तर से सिकंदर हारे राजा पोरस से प्रभावित हुआ। इसके बाद दोनों में दोस्ती हो गई।सिकंदर की मौत पर रहस्य?
सिकंदर का सैन्य जीवन भी किसी रहस्य से कम नहीं था। वह कैसे अपनी सेना को जोश से भरता था, इसको लेकर कई तरह के तर्क हैं, लेकिन किसी एक पर विश्वास करना संभव नहीं है। इसी तरह सिकंदर की मौत को लेकर तकरीबन 2200 साल बाद भी रहस्य बरकरार है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि तेज बुखार के चलते सिकंदर की जान गई थी तो कुछ क्षय रोग (टीबी) होने की बात भी करते हैं। कुछ तो यह भी कहते हैं कि उसे मलेरिया हुआ था, जिसका समय पर इलाज नहीं मिल पाया और सिकंदर दुनिया को अलविदा कह गया।क्या जहर देकर मारा गया था सिकंदर को
बेशक सिकंदर एक महान शासक था। 20 की उम्र में राजा बनने वाले सिकंदर 32 वर्ष में दुनिया को अलविदा कह गया था। कुछ इतिहास यह भी मानते हैं कि सिकंदर के करीबियों ने ही उसे जहर देकर मारा डाला था, हालांकि, इसके तथ्य नहीं है। बताया जाता है कि सिकंदर के करीबियों ने ही उसे मारने का षडयंत्र रचा था और मौका मिलने पर जहर देकर मार डाला। मौत के बाद यह अफवाल फैलाई गई कि नील नदी के बैक्टीरिया ने सिकंदर की जान ली है।सिकंदर की मौत का 'मंकी कनेक्शन'
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि सिकंदर की मौत के समय में बेबीलोन में मलेरिया और टाइफाइड का कहर बरपा था, जिससे उसकी मौत हो गई। एक और किस्सा है जो आपको अविश्नीय भी लग सकता है। कहा जाता है कि सिकंदर भारत से जाते समय एक बंदर लेकर गया था, जिसके काटने से उसकी जान चली गई। वजह चाहे जो हो, लेकिन सिकंदर का जीवन जितना रोमांचक था, उतन ही उसकी मौत रहस्य से भरी है।---विज्ञापन---