Morocco Earthquake light, मोरक्को: मोरक्को में आए विनाशकारी भूकंप ने दुनिया के सामने तबाही की तस्वीर रखी है, इस विनाशकारी भूकंप में लगातार मरने वालों की बढ़ती ही जा रही हैं। इस आपदा में अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों को जान जा चुकी है। एक ओर जहां इस भूकंप में हुए नुकसान को लेकर बातें हो रही है, वहीं इस बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
26 सेकेंड का वीडियो
इस 26 सेकेंड के वीडियो में नीली चमकदार रोशनी दिखाई दे रही हैं। बताया जा रहा है कि ये वीडियो मोरक्को में भूकंप के आने से पहले का है और वीडियो जो नीली चमकदार रोशनी दिखाई दे रही हैं वो एटलस पहाड़ियों के समीप अगादिर के आसमान में चमकी है। जानकारी के अनुसार, ये रोशनी भूकंप से ठीक पहले दिखी थी, जिसे किसी ने कैमरे में कैद कर लिया।
यूएफओ की रोशनी
वीडियो में दिखाई दे रही रोशनी वैज्ञानिकों को भी सोचने पर मजबूर कर रही है। वहीं, सोशल मीडिया पर इस रोशनी को लेकर एक ही बहस छिड़ी है जिसमें कुछ इसे यूएफओ का प्रकाश बता रहे हैं तो कुछ सिसमिक स्ट्रेस कह रहे है।
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क्यों निकलती है रोशनी निकलती
भूवैज्ञानिक डॉ. फ्राइडमन का कहना है कि भूकंप रात के समय में हुआ और ऐसा लग रहा है, जैसे किसी ने ऊंचाई से इसे कैमरे में कैद किया है। ऐसा भी माना जाता है कि भूकंप या फिर ज्वालामुखी के फटने के दौरान जब पृथ्वी के भीतर मैग्नेटिक फिल्ड या यूं कहें कि टेक्टॉनिक्स प्लेट्स में कुछ बदलाव होते हैं तो इस तरह की रोशनी निकलती है। कभी इसका रंग गुलाबी दिखता है तो कभी यह आग के जैसी भी दिखती है।
जब रोशनी दिखने के 11 दिन बाद आया था जोरदार भूकंप
डॉ. फ्राइडमन ने बताया कि साल 2009 में इटली के ऐतिहासिक शहर ला’अकिला शहर में जब भूकंप आया था तो उससे कुछ समय पहले भी ऐसी ही एक घटना घटी थी। 1988 में भी क्यूबेक के सेंट लॉरेंस नदी के पास आकाश में कुछ ऐसी ही बैंगनी रंग की रोशनी दिखी थी और इसके 11 दिन बाद वहां जोरदार भूकंप आया था।
अब ये भी जानें कि सिसमिक स्ट्रेस क्या है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप आने से पहले पृथ्वी के मैग्नेटिक फिल्ड में कुछ बदलाव होते हैं, इसके कारण यह रोशनी दिखती है। साइंसदानों के मुताबिक टेक्टॉनिक प्लेट्स में हलचल के कारण भूमि की सबसे ऊपरी सतह पर पत्थरों में कुछ ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिसके कण हवा में मिलकर जब सतह तक आते हैं तो एक अजीब सी रोशनी दिखती है। ऐसे अक्सर सिसमिक स्ट्रेस के कारण ही होता है। हालांकि अभी तक इसके बारे में कोई सटीक अध्ययन सामने नहीं आया है।