India Maldives News in Hindi: मालदीव में जब से भारत विरोधी सरकार बनी है, तब से इसके मंत्री बड़बोलेपन पर उतारू हो गए हैं। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत विरोधी कैंपेन चलाकर ही सत्ता में आए थे। अब उसके मंत्री भी भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं।
हालांकि पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने वाले तीन मंत्रियों को मालदीव सरकार ने चौतरफा दबाव के बाद सस्पेंड कर दिया है, लेकिन ये भी सच है कि भारत अगर 5.21 लाख आबादी वाले इस देश को एहसान गिनाने लगे तो मालदीव इनके तले दब जाएगा।
दरअसल, मालदीव की अर्थव्यवस्था के साथ ही कई साल पहले यहां भारत ने तख्तापलट होने से बचा लिया था। यही नहीं, भारत ने खूबसूरत बीच वाले इस देश को पानी भी पिलाया था। मुइज्जू से पहले कई पूर्व राष्ट्रपति भारत की अहमियत समझते थे, इसलिए ही उन्होंने अब इस मामले की भरसक निंदा की है, लेकिन मालदीव में अब भी एक तबका भारत विरोधी है। आइए आपको बताते हैं कि मालदीव पर भारत ने क्या-क्या अहसान किए हैं…
भारत ने 1988 में तख्तापलट होने से बचाया
विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव के अनुसार, भारत ने 1988 में मालदीव की मदद की थी। सचदेव ने तख्तापलट के प्रयास को याद करते हुए कहा कि भारत ने मालदीव के संकट के दौरान कुछ घंटों के भीतर अपनी सेना भेज दी थी। उस समय मालदीव सरकार को गिराने की कोशिश टल गई।
#WATCH | On the statement issued by the Government of Maldives, former Vice President of Maldives, Ahmed Adeeb says "It was not acceptable…I hope they will take more action against them and that they resign themselves because the damage has already been done and we should… https://t.co/T5E7gZXvfT pic.twitter.com/vcp5aaiL1i
— ANI (@ANI) January 7, 2024
बता दें कि 1988 में अब्दुल्ला लूथफी के नेतृत्व में मालदीव में तख्तापलट का प्रयास हुआ था। इसमें श्रीलंका से पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) से एक तमिल अलगाववादी संगठन भी शामिल हो गया था। हालांकि भारतीय सेना ने मालदीव की सेना के साथ मिलकर इस प्रयास को नाकाम कर दिया था। भारत ने इसे ऑपरेशन कैक्टस नाम दिया था।
कठिन दौर में मालदीव सरकार और अर्थव्यवस्था की सहायता
भारत ने कठिन दौर में मालदीव सरकार और अर्थव्यवस्था की सहायता की है। दरअसल, मालदीव का पर्यटन भी ज्यादातर भारतीय नागरिकों पर टिका है। हालांकि कई लोग अब मालदीव का बायकॉट कर यहां की बुकिंग कैंसल करवा रहे हैं। साथ ही लक्षद्वीप जाने की बात कह रहे हैं। कई भारतीय सेलिब्रिटी भी मालदीव के विरोध में उतर आए हैं।
Please note that the President’s Office website is currently facing an unexpected technical disruption. NCIT and other relevant entities are actively working on resolving this promptly.
We apologise for any inconvenience caused. Thank you for your understanding and patience. pic.twitter.com/jUOopsQTUs
— The President's Office (@presidencymv) January 6, 2024
मालदीव के पर्यटन के लिए भारत सबसे बड़ा सोर्स मार्केट
रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारतीय लोगों ने पर्यटन के लिए मालदीव का रुख नहीं किया होता तो 2020 में कोविड महामारी से प्रभावित मालदीव बिखर जाता। भारत इस दौरान मालदीव के लिए सबसे बड़ा सोर्स मार्केट था। लगभग 63 हजार भारतीयों ने मालदीव का दौरा किया था।
तीन साल पहले 2021 में करीब 2.91 लाख और दो साल पहले 2022 में करीब 2.41 लाख से ज्यादा भारतीय पर्यटक मालदीव गए। इससे क्रमश: 23 प्रतिशत और 14.4 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत मालदीव के लिए शीर्ष बाजार बना रहा। ऐसे में यदि मालदीव भारत से दुश्मनी जारी रखता है तो उसे ये बहुत भारी पड़ सकती है।
This is not Maldives, where you will find #Maldivians with Fake Smile on their face and hate in their hearts.
This is our beautiful #Lakshwadeep where you don't need Passport, Visa or permission only loving Indian people at fraction of the cost.#Maldives#ExploreIndianIslands pic.twitter.com/fWHxBPKdjU
— Prarambhi (@HBPrar) January 7, 2024
मालदीव के जल संकट में भारत ने की मदद
सचदेव के अनुसार, भारत न केवल मालदीव के पर्यटन को सहायता करता है, बल्कि इसे सक्षम बनाकर मालदीव की अर्थव्यवस्था में मदद करता है। इसके साथ ही उन्हें सुरक्षा भी प्रदान करता है। न केवल 1988, बल्कि भारत ने कई मौकों पर मालदीव की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। मालदीव में पानी की भारी कमी के बाद भारत ने बोतलबंद पानी के साथ एक विमान और हमारी नेवल एसेट भेजे थे। मालदीव में ये जल संकट 2014 में आया था। तब भारत ने 1200 टन ताजा पानी भेजा था।
The president of #Maldives used to wear "India out" t-shirt during election campaign.
Imagine the impact if PM Modi just rt any tweet having #MaldivesOut hashtag in it.
Not to forget no Indian gvt official has spoken anything against them yet. Only twitter bashing till now.. pic.twitter.com/qIIWGhA2VL
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) January 7, 2024
ऐसे में यदि मालदीव को भारत के एहसानों को मानना चाहिए। वैश्विक स्तर पर भी मालदीव को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। कहा जा रहा है कि मोहम्मद मुइज्जू ये सब चीन के इशारे पर कर रहे हैं।
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