विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का मुद्दा उठाया और कहा कि सदस्य देशों को संगठन के मूल उद्देश्यों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए और आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना चाहिए। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा है।
क्या कहा एस जयशंकर ने?
चीन में एससीओ विदेश मंत्रियों की मीटिंग में जयशंकर ने कहा, 'SCO की स्थापना तीन बुराइयों आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए की गई थी, लेकिन अक्सर ये तीनों एक साथ दिखाई देते हैं। हाल ही में भारत में 22 अप्रैल को पहलगाममें हुए आतंकी हमला ने इसका एक और सबूत दिया है। यह हमला पर्यटकों और स्थानीय बेरोजगार युवाओं की आजीविका दोनों पर सीधा वार था, जिसका मकसद कश्मीर की साझा संस्कृति को तोड़ना था। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी गई थी।
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पाकिस्तान को किया बेनकाब
भारतीय विदेश मंत्री की यह कड़ी टिप्पणी उनके पाकिस्तानी समकक्ष द्वारा दिन में दिए गए उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने चीन के साथ 'भाईचारे' वाले संबंधों पर जोर दिया था। हालांकि, जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि पहलगाम हमला 'जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन पैदा करने के लिए किया गया था।' जयशंकर के एक्स पोस्ट पर लिखा, 'एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने एक बयान जारी किया जिसमें पहलगाम हमले की 'कड़े शब्दों में' निंदा की गई।
'आतंकवाद पर हो कड़ा रुख'
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए की गई थी और इस उद्देश्य के प्रति सच्चे बने रहने के लिए इन खतरों के खिलाफ समझौता न करने वाली नीति जरूरी है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने इस हमले की कड़ी निंदा की है, जिसमें कुछ एससीओ सदस्य देश भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि UNSC ने दोषियों, प्रायोजकों और वित्तपोषकों को सजा दिलाने की जरूरत पर जोर दिया है। जयशंकर ने कहा कि हम ऐसे समय में मिल रहे हैं जब दुनिया में अस्थिरता, टकराव और आर्थिक संकट बढ़ रहे हैं। इस समय क्षेत्रीय सहयोग और पारस्परिक विश्वास से ही वैश्विक व्यवस्था को स्थिर किया जा सकता है। जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से SCO की बैठक के दौरान ये बातें भी कहीं:-
भारत आशा करता है कि आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति कायम रखी जाएगी।
हमारी जिम्मेदारी है कि मोदी और जिनपिंग की कजान मुलाकात से दोनों देशों के रिश्तों में आई गति को हम बरकरार रखें।
भारत की अपेक्षा है कि भारत और चीन अब नियमित रूप से एक-दूसरे के देशों में मिलें।
भारत इस बात की सराहना करता है कि 5 साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा चीन के सहयोग से फिर से शुरू हुई है।
अब हमारी जिम्मेदारी है कि सीमा पर तनाव घटाने से जुड़े पहलु भी बातचीत में शामिल करें।
'वैश्विक व्यवस्था में भारी उथल-पुथल'
जयशंकर ने कहा कि मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात अस्थिर हैं और ऐसे समय में क्षेत्रीय सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, 'आर्थिक अस्थिरता भी साफ दिख रही है। हमारे सामने चुनौती है कि हम वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करें, विभिन्न खतरों को कम करें और मिलकर उन समस्याओं का समाधान करें जो हमारे सामूहिक हितों के लिए खतरा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया अब बहुध्रुवीय बनती जा रही है। ताकत केवल कुछ देशों तक ही सीमित नहीं है। एससीओ जैसे समूहों का उभरना भी इसका उदाहरण है।
बता दें कि 10 देशों के यूरेशियन सुरक्षा और राजनीतिक समूह में चीन, रूस, भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और बेलारूस सदस्य हैं।
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