Kashmir economic growth better then Pakistan Punjab: जम्मू और कश्मीर ने पिछले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे, पर्यटन और सामाजिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। वहीं, उससे क्षेत्रफल में दोगुना पंजाब का पाकिस्तान प्रांत आर्थिक रूप से बड़ा होने के बावजूद आर्थिक संकट और सीमित प्रति व्यक्ति आय के चलते पीछे रह गया। जम्मू कश्मीर जहां एक ओर भारत का सबसे अहम केंद्र शासित प्रदेश है, वहीं पाकिस्तान का पंजाब प्रांत देश की जीडीपी में 50% से अधिक योगदान देता है और यहां देश की आधे से अधिक आबादी बसती है। भौगोलिक, सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां अलग-अलग होने के बावजूद दोनों जगह पिछले पांच साल में क्या-क्या विकास कार्य हुए, क्या चुनौतियां रहीं? इन पर एक नजर।
विकास के पैमाने पर
जम्मू और कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनने से विकास कार्यों में तेजी आई है। 2020-2023 के बीच 4 नए राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य कंप्लीट हुए। 10 नए सड़क और सुरंग प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली। श्रीनगर-जम्मू रिंग रोड और अन्य परियोजनाओं ने कनेक्टिविटी को बढ़ाया। बारामूला-काजीगुंड के बीच 119 किमी रेल लाइन शुरू हो चुकी है। उधमपुर-काजीगुंड रेल लाइन पर काम तेज हुआ। श्रीनगर हवाई अड्डे को शेख-उल-आलम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रूप में पहचान मिली। जम्मू व लेह हवाई अड्डे अपग्रेड हुए।
वहीं, पंजाब प्रांत में चीन-पाकिस्तान इकॉनोमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत सड़कें, रेलवे और बिजली परियोजनाएं शुरू तो हुईं, जैसे लाहौर-मुल्तान मोटरवे और साहिवाल कोयला संयंत्र। हालांकि, कई परियोजनाएं अभी भी धीमी गति से चल रही हैं या कर्ज के बोझ तले दबी हैं। लाहौर मेट्रो और ऑरेंज लाइन जैसे प्रोजेक्ट कंप्लीट हुए, लेकिन रखरखाव और वित्तीय घाटे की समस्या से जूझ रहे हैं। लाहौर का अलामा इकबाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रमुख हब है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में हवाई संपर्क सीमित है।
निवेश और रोजगार के पैमाने पर
जम्मू और कश्मीर में पिछले 5 साल में 15,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। यह निवेश प्रस्ताव इंफॅर्मेशन टैक्नॉलॉजी, डिफेंस, टूरिज्म और एजूकेशन इंडस्ट्री में है। 30,000 नई नौकरियां क्रिएट हुईं और 70,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं। जम्मू-कश्मीर में सेब की खेती अकेले 35 लाख लोगों को रोजगार देती है। बजट आवंटन में भी जम्मू-कश्मीर के विकास को हमेशा तरजीह मिली। 2022-23 में प्रदेश को 1.12 लाख करोड़ रुपये का बजट मिला, जिसमें बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष जोर दिया गया।
वहीं पिछले 5 साल में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजरी। 2023 में मुद्रास्फीति दर 38% तक पहुंची और पाकिस्तानी रुपये का मूल्य गिर गया। पंजाब का 2021-22 का बजट 141 अरब पाकिस्तानी रुपये था, जो जम्मू और कश्मीर के बजट से काफी कम है। 5.2 अरब रुपये की विकास बजट कटौती ने पंजाब और आजाद कश्मीर जैसे क्षेत्रों को प्रभावित किया। रावी रिवरफ्रंट अर्बन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट (RUDA) अधर में है।
स्वास्थ्य और शिक्षा के पैमाने पर
जम्मू और कश्मीर में 2,812 अस्पताल मुफ्त हेल्थ सर्विस देते हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत सभी को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया गया है। वहीं, शिक्षा के क्षेत्र में 35 विश्वविद्यालय और कई तकनीकी संस्थान स्थापित किए गए, जो एजूकेशन सेक्टर में ग्रोथ दर्शाते हैं।
वहीं, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 23 अस्पताल हैं, जो बुनियादी सुविधाओं में कमी से जूझ रहे हैं। केवल 6 विश्वविद्यालय हैं।
पिछले पांच वर्षों में जम्मू-कश्मीर ने विकास के कई क्षेत्रों में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की तुलना में आगे निकलता दिखाई दे रहा है। जम्मू-कश्मीर में 2018-19 में 1.6 लाख करोड़ रुपये का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) था, जो 2021-22 में बढ़कर 2.64 लाख करोड़ रुपये का हो गया। यानी लगभग 65% की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 2023-24 के बजट में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों के लिए 31% की वृद्धि की गई है।
आतंकवाद में कमी और पर्यटन में उछाल
पिछले पांच साल से जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में बेहद कमी दर्ज की गई है। इसके अलावा आतंकी घटनाओं, सुरक्षाकर्मियों की शहादत और अलगाववादी हड़तालों में 86% कमी दर्ज की गई। वहीं, 2019 के बाद पर्यटन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई। पहली बार सिनेमाघरों में नाइट शो शुरू हुए और टूटे मंदिरों में पूजा-पाठ फिर से शुरू हुआ।
वहीं, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी आतंकवादी गतिविधियां कम हुईं, लेकिन बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा की तुलना में यहां स्थिरता अधिक है। फिर भी राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट ने विकास को बाधित किया।