Egypt News: मिस्त्र में शोधकर्ताओं को 5 साल की खुदाई के बाद ममियों से भरी 300 कब्रें मिली हैं। वैज्ञानिकों ने इस जगह को अब ‘मृतकों का शहर’ (City Of Dead) का नाम दिया है। यह खुदाई पहाड़ी पर मौजूद आगा खान तृतीय के मकबरे के पास की गई थी। यह कब्रिस्तान दो लाख 70 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। 10 जगहों की खुदाई के दौरान शोधकर्ताओं की टीम को जितनी कब्रें मिली हैं, उनमें से 36 नई हैं। प्रत्येक कब्र में 30-40 लोगों के अवशेष मिले हैं। बताया जा रहा है कि ये 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 9वीं सदी ईस्वी के बीच लगभग 900 साल पुराने हो सकते हैं। मिस्र के पुरावशेष प्रभाग (एंटीक्विटीज डिविजन) के सर्वोच्च परिषद के हेड अयमान अश्मावी के अनुसार जितने अवेशष मिले हैं, उनमें 30-40 फीसदी किशोरों के हैं।
अधिकतर लोगों की मौत का कारण संक्रामक रोग
इनकी जांच में पता लगा है कि मौत संक्रामक रोगों तपेदिक या एनीमिया के कारण हुई थी। मिलान विश्वविद्यालय में पुरातत्वविदों की टीम इन अवशेषों को लेकर जांच कर रही है। इस टीम को पैट्रिजिया पियासेंटिनी लीड कर रही हैं। पियासेंटिनी नील नदी के पूर्वी तट पर 4500 साल पहले बसे असवान शहर पर भी शोध कर चुकी हैं। कभी यह शहर सैन्य चौकियों, ग्रेनाइट खदानों और व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र था। पियासेंटिनी ने इसे एक शानदार खोज बताया था। उन्होंने बताया कि असवान के लोगों ने पहाड़ी को पूरी तरह कब्रों से पाट दिया था।
‘City of the Dead’ archeologists have now uncovered more than 300 tombs packed with mummieshttps://t.co/wOkgW9DOsP
— European Press (@european_presss) June 30, 2024
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इस शहर को पहले स्वेनेट और बाद में स्वान नाम मिला था। यहां यूरोप और अफ्रीका से आकर भी लोग बसे। लोग इसे पूर्व से पश्चिम जाने का क्रॉसिंग प्वाइट मानते थे। दक्षिण से यहां आयात होता था। 2019 में यहां पर एक मकबरे की खोज हुई थी। जिसमें 2 बच्चों और उनके माता-पिता की ममी मिली थीं। इसके बाद खुदाई शुरू हुई तो और भी कब्रें मिलीं। यहां खुदाई के दौरान 2 हजार साल पुरानी बस्ती के होने का पता भी लगा है। आगे की खुदाई में पता लगा है कि शवों को दफनाते समय वर्ग का ध्यान रखा गया। कुलीन वर्ग के लोग कब्रों में दफन किए गए थे। यहां मिट्टी के बर्तन और लकड़ी की नक्काशी मिली है। जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि सामाजिक प्रतिष्ठा वाले लोगों की मौत पर दूसरे लोग खास गिफ्ट देते थे। अब इन ममियों को संरक्षण और प्रदर्शनी के लिए संग्रहालयों में भेजा जाएगा।