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चांद पर रहने के लिए ड्रैगन लगा रहा जुगाड़, मिट्टी से बनाएगा पानी; क्या है नया प्लान?

World News in Hindi: चीन को जुगाड़ के लिए मशहूर माना जाता है। चीन महंगे से महंगा सामान बनाकर सस्ते दामों पर बेच देता है। ये सामान कितना चलेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं होती। अब चीन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि चांद पर पानी का निर्माण किया जाएगा। पूरी बात जान लेते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Aug 25, 2024 21:55
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China News in Hindi: चीन के वैज्ञानिकों ने अनोखा दावा किया है। चीन अपने लोगों को चांद पर बसाने की दिशा में काम कर रहा है। चीन ने चांद पर पानी की मौजूदगी को लेकर बड़ा दावा किया है, जिस पर आपको शायद ही यकीन हो। लेकिन बता दें कि चांद पर इंसानी बस्ती बसाने की कोशिश चीन के वैज्ञानिक लंबे समय से कर रहे हैं। ऐसी बस्ती, जिसमें इंसानों की जरूरत से जुड़ा हर सामान हो। चीनी वैज्ञानिक अब चांद की मिट्टी से पानी तैयार करके एक प्लांट को तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।

इस अकादमी की टीम कर रही है प्रयास

यह पूरा वाटर प्लांट लगाने की तैयारी जैसा ही प्रोजेक्ट है। चीनी वैज्ञानिकों को कुछ आश्चर्यजनक संकेत मिले हैं। जिससे बाद उनको लग रहा है कि इस तरह पानी का निर्माण किया जा सकता है। इससे प्राकृतिक उपग्रह पर जीवन संभव हो सकता है। चीनी विज्ञान अकादमी (CAS) के निंगबो इंस्टीट्यूट ऑफ मैटेरियल्स टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (NIMTE) की टीम इसको लेकर प्रयास कर रही है। जिसकी अगुआई प्रो. वांग जुनकियांग कर रहे हैं। टीम का दावा है कि चांद की मिट्टी से पानी बनाने का तरीका डेवलप किया जा सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक रेगोलिथ (चांद की मिट्टी) और हाईड्रोजन के बीच रासायनिक तरीके से प्रयोग कर रहे हैं।

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प्रो. वांग के अनुसार रेगोलिथ के ये नमूने चांग E-5 मिशन के दौरान लाए गए थे। ताकि चांद पर पानी की संभावनाओं का पता लगाया जा सके। इसके लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए अवतल दर्पणों का प्रयोग किया जा रहा है। एक ग्राम रेगोलिथ को 1200k से ऊपर गर्म करने पर 51 से 76 मिलीग्राम तक पानी का उत्पादन किया जा सकता है।

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सांस लेने योग्य हो सकती है चांद की हवा!

यानी एक टन रेगोलिथ से 50 किलोग्राम से अधिक पानी का निर्माण किया जा सकता है। जो पीने के पानी की 100 बोतलों (500 ML) के बराबर है। इतना पानी एक दिन में 50 लोगों के काम आ सकता है। वहीं, चांद की मिट्टी को लेकर वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर इसे विद्युत रासायनिक तरीके से हाईड्रोजन और ऑक्सीजन में बदल दिया जाए तो चांद की हवा सांस लेने योग्य हो सकती है।

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Written By

Parmod chaudhary

First published on: Aug 25, 2024 09:55 PM

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