हर साल अप्रैल की एक खास चांद निकलता है, जिसे ‘पिंक मून’ कहा जाता है। लेकिन क्या सच में चांद गुलाबी हो जाता है या इसके पीछे छिपी है कोई पुरानी कहानी? इस बार की पूर्णिमा और भी खास है क्योंकि यह साल की सबसे छोटी पूर्णिमा होगी, जिसे ‘माइक्रोमून’ कहा जाता है। इतना ही नहीं, इस चांद का एक और नाम ‘पास्कल मून’ भी है, जो ईस्टर से जुड़ा हुआ है। तो क्या है इस रहस्यमयी चांद की सच्चाई और कब-कहां दिखेगा इसका जादुई नजारा? आइए जानते हैं।
पिंक मून और पास्कल मून
अप्रैल की पूर्णिमा को ‘पिंक मून’ यानी गुलाबी चांद कहा जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चांद वाकई गुलाबी दिखाई देगा। दरअसल यह नामकरण अमेरिका के मूल निवासियों ने एक जंगली फूल ‘फ्लॉक्स’ के नाम पर किया था, जो अप्रैल में पहली बार खिलता है और अक्सर गुलाबी रंग का होता है। इसलिए इस चांद को ‘पिंक मून’ कहा जाता है। इसे ‘पास्कल मून’ भी कहते हैं क्योंकि ईस्टर की तारीख इसी पूर्णिमा के बाद आने वाले रविवार को तय होती है। साल 2025 में ईस्टर 20 अप्रैल को मनाया जाएगा क्योंकि यह पूर्णिमा 12 अप्रैल को होगी।
April’s #fullmoon takes place on 13th April 2025, 1.22am in UK (12th April 8.22pm EDT). Native Americans called it the ‘Pink Moon’ because it coincides with the blooming of Phlox subulata, which bursts into flower around this time. It’s also known as the ‘Budding Moon’. #folklore pic.twitter.com/Z5941tMQmd
— VenetiaJane’s Garden (@VenetiaJane) April 12, 2025
---विज्ञापन---
साल का सबसे छोटा पूर्ण चंद्रमा
इस बार की पूर्णिमा को ‘माइक्रोमून’ भी कहा जा रहा है क्योंकि यह उस समय हो रही है जब चांद अपनी कक्षा में पृथ्वी से सबसे दूर होता है। इसे खगोल शास्त्र में ‘एपोजी’ कहा जाता है। जब चांद इतनी दूर होता है, तो उसका आकार लगभग 5.1% छोटा दिखाई देता है। हालांकि यह फर्क आंखों से साफ समझना थोड़ा मुश्किल होता है फिर भी खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए यह एक खास अवसर है।
कब और कैसे देखें ये खास नजारा
12 अप्रैल की रात को आसमान में पिंक मून दिखेगा। यह चांद पूरी तरह से 13 अप्रैल की सुबह 5:52 बजे चमकेगा (भारतीय समय के अनुसार)। अगर आप इसे देखना चाहते हैं तो ऐसी जगह जाएं जहां आसमान साफ हो और दूर तक दिखे। जब चांद धरती के किनारे के पास होगा तो वह आपको थोड़ा बड़ा और सुनहरे रंग का दिखेगा। इसे ही ‘मून इल्यूजन’ कहते हैं यानी आंखों को चांद बड़ा दिखता है। इस समय चांद के पास एक चमकता हुआ तारा भी दिखेगा, जिसका नाम है स्पाइका। यह तारा नीला-सफेद रंग का होता है और वृश्चिक तारामंडल का हिस्सा है। चांद और इस तारे को साथ देखना बहुत ही सुंदर और खास नजारा होगा।
कहां दिखेगा सबसे खास नजारा
दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और दक्षिणी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में यह चांद ‘स्पाइका’ नामक तारे को कुछ देर के लिए ढंक देगा इस घटना को ‘ऑकल्टेशन’ कहा जाता है। जैसे अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स, वेनेजुएला की कराकस और उरुग्वे की मोंटेवीडियो जैसी जगहों पर लोग इस नजारे का आनंद ले पाएंगे। भारत में इस ‘ऑकल्टेशन’ को नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन फिर भी पिंक मून को देखना एक सुहाना अनुभव होगा। अगली पूर्णिमा यानी ‘फ्लावर मून’ 12 मई को होगी।