मॉस्को: दशकों बाद रूस ने आदमी केा चांद पर भेजने के लिए एक अंतरिक्ष यान भेजा, जिसके क्रैश हो जाने की खबर से तो हम वाकिफ हैं, मगर क्या हम जानते हैं कि इसके पीछे किसका हाथ है? अगर नहीं तो चलिए बता ही देते हैं। कहा जा रहा है कि रूस की लुटिया पड़ोसी मुल्क ने ही डुबोई है। वही पड़ोसी, जो इस मिशन की शुरुआत में साथी था और इसके नाकाम होते ही किनारा करके बैठ गया। इतना ही नहीं, यहां तक भी कह डाला कि इस विफलता से रूस की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगने की उम्मीद है। शायद अंदाजा हो ही गया होगा कि यह उसी चीन की बात हे रही है, जो दशकों से अच्छे पड़ोसी होने का दावा करते रहने के बावजूद भारत की पीठ में भी छुरा घोंपता रहता है।
यहा सबसे पहले तो यह साफ कर देना जरूरी है कि रूस के मिशन मून का सारथी अंतरिक्ष यान लूना 25 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उसी इलाके में उतरना था, जहां लगभग दो साल पहले यानि 2021 में रूस और चीन की अंतरिक्ष एजेंसियों ने एक सांझा बेस स्थापित करने का ऐलान किया था। इतना ही नहीं, अब अगस्त की शुरुआत में चीन के मीडिया की एक खबर भी खूब चर्चा में रही। इसके मुताबिक रूस के सुदूर पूर्व में स्थित वोस्तोचन कोस्मोड्रोम में जब एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई तो उसमें चीन के डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोजेक्ट के चीफ और मुख्य डिजाइनर वू यानहुआ ने प्रतिनिधिमंडल की कमान संभाली थी।
सूत्रों के मुताबिक अब जबकि रूस का मिशन मून फेल हो गया है तो चीनी मीडिया में इसको लेकर न के बराबर कवरेज देखने को मिलती हैं। गजब की बात है कि चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने रविवार को सिर्फ पांच लाइन की छोटी सी जानकारी शेयर की थी। हद तो तब हो गई, जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के कंट्रोल वाले ग्लोबल टाइम्स के पूर्व संपादक हू जिजिन ने अखबार के ओपिनियन में लिख डाला, ‘विफलता से रूस की महत्वाकांक्षाओं को झटका लगने की उम्मीद है। पश्चिम को रूस को सिर्फ इसलिए कम नहीं आंकना चाहिए, क्योंकि उसका चंद्र कार्यक्रम विफल हो गया है’।
इतना ही नहीं, रैंड स्पेस एंटरप्राइज इनिशिएटिव के प्रमुख और रैंड कॉर्प के एक वरिष्ठ नीति शोधकर्ता ब्रूस मैक्लिंटॉक ने इस घटनाक्रम को रूस के भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और प्रतिबंधों का नतीजा बताया है। इसके अलावा इतिहास को भी नहीं भुलाया जा सकता। ध्यान रहे, चीन 2019 में चंद्रमा के एक दूर-दराज के इलाके में अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बना था। चार साल से ज्यादा बीत जाने के बावजूद उसका युतु-2 चंद्र रोवर सक्रिय है। जेम्सटाउन फाउंडेशन के एक सीनियर फेलो और अंतरिक्ष नीति के शोधकर्ता पावेल लुजिन ने कहा, ‘पर्दे के पीछे, चीन पहले से ही मानता है कि अंतरिक्ष भागीदार के रूप में रूस का महत्व सीमित है। चीन को रूस के साथ सहयोग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि रूस चीन को कुछ भी नहीं दे सकता है’। वहीं एक और पहलू पर विचार करें तो वह भी चीन की साजिश की तरफ इशारा करता है। दरअसल, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद से चीनी मीडिया ने चंद्र बेस (Lunar Base) में रूस की भूमिका को कम करके आंका है। रूस के विपरीत चीन चंद्रमा पर दूसरों को पछाड़ने की अपनी कोशिश में कामयाब रहा है।
लिहाजा, अब विदेशी मीडिया में बातें हो रही हैं कि लूना-25 का क्रैश रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए जितना बड़ा झटका है, उससे कहीं ज्यादा शर्मनाक तो चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए है, जो कुछ दिन पहले तक रूस के साथ मिलकर चांद पर सांझा बेस खोलने के दावे कर रहा था।