नई दिल्ली: पंजाब में लंबे समय से चल रही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान की खींचतान न सिर्फ देश की सबसे ऊंची अदालत तक पहुंच गई, बल्कि इसको लेकर अदालत की तरफ से बड़ी ही अहम टिप्पणी भी आई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सवालिया लहजे में कहा है, ‘क्या राज्यपाल को इस बात का जरा भी अंदेशा है कि वो आग से खेल रहे हैं’।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-लोकतंत्र का क्या भविष्य है…
दरअसल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच प्रदेश के मुद्दों को लेकर लंबे समय से अनबन चल रही है। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार की तरफ से एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि प्रदेश की सरकार द्वारा इन दिनों चल रहे माहौल के बीच विधानसभा का सत्र बुलाना नामुमकिन सा लगता है। इसके बाद चीफ जस्टिस जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने गवर्नर पुरोहित के वकील से पूछा कि अगर विधानसभा का कोई सत्र अवैध भी घोषित हो जाता है तो उसमें पारित कोई बिल आखिर किस गैरकानूनी हो सकता है? राज्यपाल इसी तरह बिल को गैरकानूनी ठहराते रहे तो क्या देश में संसदीय लोकतंत्र नाम की कोई व्यवस्था शेष रह जाएगी।
Supreme Court calls that Vidhan Sabha conducted by Punjab Assembly on June 19 and June 20 valid
SC says that the governor of Punjab must now proceed to take decisions on bills submitted for assent which were passed by the house conducted on June 19-20 2023 which was… pic.twitter.com/J0gcfCFrUw— ANI (@ANI) November 10, 2023
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राज्यपाल अनिश्चित काल के लिए नहीं रोक सकते विधेयक को
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्यपाल राज्य का संवैधानिक मुखिया होता है, लेकिन पंजाब के हालात लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल की तरफ से प्रस्तुत अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि आप किसी भी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए नहीं रोक सकते। वहीं अदालत में पंजाब सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यपाल पुरोहित अपनी नाक का सवाल मानकर बदले की भावना से बिल पर रोक लगा रहे हैं। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कड़ी आपत्ति जताई और पूछा, ‘संविधान में कहां लिखा है कि राज्यपाल स्पीकर द्वारा बुलाए गए विधानसभा सत्र को अवैध करार दे सकते हैं?’।
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केंद्र सरकार निकाल रही हल
दरअसल, राज्यपाल पुरोहित की तरफ से लिखे दो पत्र सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत हैं, जिनमें उन्होंने सरकार को संदेश देना चाहा है कि चूंकि विधानसभा का सत्र ही अवैध है तो ऐसे में वह बिल को मंजूरी नहीं दे सकते। राज्यपाल ने इस विवाद पर कानूनी सलाह लेने और कानून के मुताबिक ही चलने की बात लिखी है। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्यपाल का पत्र अंतिम निर्णय नहीं हो सकता। इस विवाद को हल करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है।