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अटल बिहारी वाजपेयी ने पिता के साथ ली थी LLB की डिग्री; पुण्यतिथि पर जानें ऐसी और खास बातें

Atal Bihari 5th Death Anniversary, ग्वालियर: भारत के सबसे प्रमुख राजनीतिक शख्सियतों में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। 1980 में, वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन किया और कई वर्षों तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1998 और 1999 के […]

Edited By : Balraj Singh | Updated: Aug 16, 2023 20:03
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Atal Bihari 5th Death Anniversary, ग्वालियर: भारत के सबसे प्रमुख राजनीतिक शख्सियतों में से एक, अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। 1980 में, वाजपेयी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गठन किया और कई वर्षों तक इसके अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1998 और 1999 के आम चुनावों में पार्टी की जीत का नेतृत्व किया और भारत के प्रधानमंत्री बने। सबसे बड़ी बात तो यह भी है वह विरोधियों को भी साथ लेकर चलते थे। ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’, यही उनकी सोच थी। आइए आज उनकी 5वीं पुण्यतिथि पर जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम बातें…
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शिंदे की छावनी में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयी के पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। शुरुआती शिक्षा ग्वालियर से ही हासिल करने के बाद विक्टोरिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया। यहीं से उन्होंने लॉ की पढ़ाई थी, वह भी अपने पिता के साथ। दोनों ने एक ही कक्षा में लॉ की डिग्री हासिल की और इस दौरान दोनों एक ही साथ हॉस्टल में भी रहे थे। उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट ख्याति प्राप्त की और कई किताबें लिखी। वह कविताई के जरिये अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते थे।
करीबी लोग अटल बिहारी वाजपेयी को ‘बाप जी’ कहा करते, वहीं राज्यसभा में एक भाषण के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वाजपेयी को भारतीय राजनीति का ‘भीष्म पितामाह’ कहा था। शुरू से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में रहे अटल बिहारी वाजपेयी 1942 के ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन में 24 दिन की जेल काटकर आए। भारतीय जनता पार्टी से राजनीति शुरू करने वाले अटल 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा सदस्य रहे। इतना ही नहीं, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश से सांसद बने वह इकलौते राजनेता थे। 6 अप्रैल 1980 वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।
विरोधियों के बीच सम्मान पाने वाली हैसियत भी आज तक वाजपेयी के मुकाबले किसी की नहीं हुई है। बड़ी बात तो यह भी इतिहास में दर्ज है कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके (अटल बिहारी के) प्रधानमंत्री बनने की भविष्यवाणी कर दी थी। फिर जब विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा में भाषण देने वाले वह पहले भारतीय नेता बने।
प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वाजपेयी ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना, सर्व शिक्षा अभियान कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना सहित कई आर्थिक और सामाजिक सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने 1998 में भारत के सफल परमाणु परीक्षणों का भी निरीक्षण किया, जिसने देश के परमाणु शक्ति के रूप में उभरने को चिह्नित किया।
2004 में वाजपेयी ने स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया। उन्हें 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वाजपेयी के निधन पर भारत और दुनियाभर के लोगों ने शोक व्यक्त किया था और उन्हें एक दूरदर्शी नेता और एक राजनेता के रूप में याद किया गया, जिन्होंने अपने देश की भलाई के लिए अथक प्रयास किया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 से 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह पद पर पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। वाजपेयी का राजनैतिक जीवन पांच दशकों में फैला, इस दौरान वे भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य थे। वह राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य भी रहे।

गठबंधन सरकार बनाने में हुए थे सफल

16 मई 1996 को कई राजनीतिक दलों के समर्थन से अटल बिहारी वाजपेयी भारत के 10वें प्रधानमंत्री बने। 1996 के आम चुनावों के परिणामस्वरूप त्रिशंकु संसद के परिणामस्वरूप वाजपेयी को प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था, जिसमें किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन फिर भी सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत से कम रह गई। वाजपेयी ने तब अन्य दलों का समर्थन मांगा और समता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, बीजू जनता दल और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सहित कई छोटे दलों की मदद से गठबंधन सरकार बनाने में सफल हुए।
वाजपेयी ने उदारीकरण और निजीकरण सहित कई आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को खोलने और विदेशी निवेश बढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने गरीबों को खाद्य सुरक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से अंत्योदय अन्न योजना और काम के बदले राष्ट्रीय खाद्य कार्यक्रम जैसी कई सामाजिक कल्याण योजनाएं भी शुरू कीं।

देश के विकास में अटल जी ने निभाई थी अहम भूमिका

अपने कार्यकाल के दौरान, वाजपेयी ने स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग परियोजना, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना और सर्व शिक्षा अभियान सहित कई अभियान शुरू किए। उन्होंने पोखरण में परमाणु परीक्षण भी किया, जिससे उन्हें प्रशंसा और आलोचना दोनों मिली। वाजपेयी की सरकार को पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध, 2002 के गुजरात दंगों और 2001 में भारतीय संसद पर हमले सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इन चुनौतियों के बावजूद, वह देश में स्थिरता और एकता बनाए रखने में सक्षम थे।

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Edited By

Balraj Singh

First published on: Aug 16, 2023 03:08 PM