Reddit Surrogacy Post: ऐसे केस फिल्मों में ही होते हैं, ‘बैड न्यूज’ तो आपने देखी ही होगी, लेकिन इस कहानी को पढ़कर आप फिल्मी सस्पेंस को भूल जाएंगे। दरअसल जुड़वां बच्चों के केस में ऐसा हो सकता है कि एक बच्चे का पिता कोई और हो, और दूसरे बच्चे का पिता कोई दूसरा। दुनिया भर में लाखों मामलों में एकाध केस ऐसे सामने आते हैं। मेडिकल भाषा में हेट्रोपैटर्नल सुपरफेकंडेशन कहा जाता है। लेकिन यह केस अलग है। ऐसे ही एक नए केस में एक महिला ने अपने पति को तलाक दे दिया, जब उसे पता चला कि जुड़वां बच्चों में से एक की वह जैविक मां नहीं है। रेडिट डॉट कॉम पर यह केस चर्चा का विषय बना हुआ है।
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ThrowRA-3xbetrayal नाम के रेडिट यूजर ने दावा कि महिला को डीएनए टेस्ट से पता चला कि वह जिस बच्चे को पाल रही है, दरअसल उसका जैविक पिता तो उसका पति ही है, लेकिन वह बच्चे की जैविक मां नहीं है। महिला ने कहा कि उसे 6 साल पहले ही पता चल गया था कि मेडिकल परेशानियों की वजह से वह पूरे नौ महीने तक बच्चे को गर्भ में नहीं रख सकती। लिहाजा उन्होंने अपने लिए सरोगेट्स की तलाश शुरू कर दी। साथ ही पैसे जुटाने के लिए उसने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया।
इसी बीच महिला की कॉलेज टाइम की एक दोस्त ने उसे सरोगेसी के लिए ऑफर किया। उसके पहले से ही दो बच्चे थे। महिला की दोस्त ने हवाला दिया कि अगर वह अपनी कोख में बच्चा पालती है तो महिला पर खर्च का बोझ कम होगा। हालांकि आईवीएफ के दो सेशन के बावजूद महिला की दोस्त प्रेग्नेंट नहीं हुई। ThrowRA-3xbetrayal ने रेडिट पर लिखा है कि आईवीएफ के तीसरे सेशन में महिला की दोस्त प्रेग्नेंट हो गई और उसने बच्चे को जन्म दिया।
पति के साथ सरोगेट की बढ़ी नजदीकियां
रेडिट यूजर ने लिखा है कि महिला ने नोटिस किया कि उसकी गैर मौजूदगी में उसकी दोस्त और उसका पति एक साथ समय बिताते हैं। दोनों आपस में ज्यादा बातें करने लगे थे। वीकेंड पर नौकरी करके जब महिला घर लौटती तो पाती कि उसकी दोस्त पहले से घर पर जमी हुई है। हालांकि महिला ने अपनी दोस्त को कुछ नहीं कहा, और इस एहसान में दबी रही कि चलो उसकी दोस्त उसके लिए इतना कर रही है।
आंखों के रंग, ब्लड टाइप और डीएनए टेस्ट
महिला को अपने बेटे की आंखों के रंग से संदेह हुआ। महिला और उसके पति की आंखों का रंग नीला था, जबकि उसके दूसरे बच्चे की आंखें भूरे रंग की थीं। इस पर एक डॉक्टर ने महिला, उसके पति और बच्चों का ब्लड टेस्ट किया। इसमें पता चला कि उसके बच्चे का ब्लड टाइप बी पॉजिटिव है। बच्चे के पिता का ब्लड टाइप ओ पॉजिटिव है, जबकि महिला का ब्लड टाइप ए पॉजिटिव है। टेस्ट के बाद डॉक्टर ने बताया कि मेडिकल रूप से यह संभव ही नहीं है कि उसके बच्चे का ब्लड टाइप बी पॉजिटिव हो और उसका ब्लड टाइप अलग हो।
इसके बाद महिला ने डीएनए टेस्ट करवाया कि कहीं फर्टिलिटी सेंटर वाले ने गलती तो नहीं कर दी। जांच में पता चला कि दरअसल उसका पति तो बच्चे का जैविक पिता है, लेकिन वह जैविक मां नहीं है। इतना कुछ होने के बाद महिला के पति ने स्वीकार कर लिया कि आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान वह सरोगेट महिला के साथ कई बार हमबिस्तर हुआ था, क्योंकि आईवीएफ तकनीक के जरिए सरोगेट के प्रेग्नेंट होने में दिक्कत आ रही थी। पति के यह स्वीकार करने के बाद महिला अवाक रह गई और तुरंत तलाक लेने का फैसला किया। ThrowRA-3xbetrayal नाम के रेडिट यूजर की यह पोस्ट वायरल हो गई है।