Pune Building Made With Mud Gets Viral: पहले के जमाने में भारत और दुनियाभर में ईंट के नहीं बल्कि मिट्टी के घर हुआ करते थे। उन लोगों के पास न तो एसी था और न ही कूलर लेकिन फिर भी उनके घर ठंडे रहते थे। इस समय देशभर में भीषण गर्मी पड़ रही है। हर कोई इससे बचने की तरकीब निकाल रहा है। इस बीच एक आर्किटेक्ट का सराहनीय काम सामने आया। पुणे की चिलचिलाती गर्मी में जब सब एसी चला रहे थे तब रोहन और उनकी टीम दो दिन में सिर्फ तीन घंटे पंखे चलाती थी।
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कंस्ट्रक्शन वेस्ट और मिट्टी जैसी चीजों से बनाया ऑफिस
नाहर के स्टार्टअप का ऑफिस वास्तुकला अभ्यास पर निर्भर है जिसे स्टूडियो रूट्स एंड बेसिक्स कहते हैं। इसे साइट पर मिलने वाली मिट्टी, कंस्ट्रक्शन वेस्ट और नींबू आदि चीजों को मिलाकर हाथों से बनाया गया है। पंचगनी में एक इको-विलेज, केरल में एक मिट्टी का घर और भुसावल में जलवायु-अनुकूल इमारत के पीछे नाहर ही नाम है। इसके अलावा, स्पेन, पुर्तगाल और अमेरिका के लोग और संगठन भी उनकी तलाश कर रहे हैं जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए उस तरह के घर बनाना चाहते हैं जिन्हें नाहर बढ़ावा दे रहे हैं। इन घरों को बनाने के लिए मुख्य कच्चा माल मिट्टी है, जिसे वे “भूरा सोना” (Brown Gold) कहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री उनमें से एक है है जिसमें से सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसें निकलती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग की वजहों में से एक है। वैश्विक उत्सर्जन का 37 प्रतिशत हिस्सा सीमेंट, स्टील और एल्यूमीनियम जैसे मटेरियल को बनाने और इस्तेमाल की वजह से होता है।
लौटकर आ रही मिट्टी के घर की परंपरा
मिट्टी से घर बनाना भारत और दुनिया के कई हिस्सों में एक पुरानी परंपरा है और मॉडर्न आर्किटेक्ट भी इसकी खोज कर रहे हैं। नाहर 2013 से पर्यावरण-संवेदनशील कंस्ट्रक्शन पर काम कर रहे हैं। नाहर ने कहा कि “वास्तुकला में कुछ बुनियादी सिद्धांत हैं। आपके पास नेचुरल लाइट और वेंटिलेशन होना चाहिए। अगर आप किसी पेड़ के नीचे बैठते हैं और यह आरामदायक हैं और अगर आप अपने घर के अंदर बैठते है और यह आरामदायक नहीं है तो कुछ गलत हो रहा है।”
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