Ballistic Missiles of India: भारत का मिसाइल कार्यक्रम दुनिया के उन्नत किस्म के मिसाइल कार्यक्रमों में गिना जाता है। इसकी मारक क्षमता दुश्मनों को मिट्टी में मिलाने की क्षमता रखती है। मिसाइल कार्यक्रमों के माध्यम से देश को कई अहम मिसाइल प्रणालियां प्राप्त हुई हैं। जिसमें कुछ महत्वपूर्ण मिसाइल प्रणालियां प्रमुख हैं। इस पर डॉ. आशीष कुमार खास जानकारी दे रहे हैं।
अस्त्र मिसाइल (astra missile)
डीआरडीओ द्वारा विकसित अस्त्र मिसाइल हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह ‘विआण्ड द विजुअल रेंज’ शिकार को निशाना बनाने वाली मिसाइल है। अस्त्र मिसाइल परियोजना पर 2000 के दशक में आधिकारिक रूप से अनुसंधान का कार्य प्रारंभ हुआ था। सन 2017 में इसका एमके1 संस्करण का निर्माण और विकास कार्य पूरा हुआ। अस्त्र मार्क1 की रेंज 110 किलोमीटर बतायी जाती है। विकसित की जा रही एमके2 की रेंज 150 किलोमीटर से अधिक होगी। मिसाइल को सुखोई 30 एमके2, स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस से दागने के लिए तैयार किया गया है।
त्रिशूल मिसाइल (Trishul Missile)
त्रिशूल मिसाइल जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। इसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। त्रिशूल मिसाइल का वजन लगभग 130 किलोग्राम है और इसकी लंबाई 5.56 मीटर है। इस मिसाइल की रेंज 9 किलोमीटर है और यह आकाश में 6 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है। यह दुश्मन के विमानों और क्रूज मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। त्रिशूल मिसाइल स्वचालित होती है। इसमें ठोस ईंधन का प्रयोग किया जाता है।
बराक-8 मिसाइल (barak 8 missile)
बारक मिसाइल को भारत और इजरायल ने मिलकर विकसित किया है। यह मिसाइल 0.5 सेकंड में अपने लक्ष्य को मारने के लिए तैयार हो जाती है। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है। यह मिसाइल एक साथ तीन लक्ष्यों को टारगेट कर सकती है। इस मिसाइल में एक रडार सेंसर होता है, जिसके जरिए यह अपने लक्ष्य को पहचानती है। इस मिसाइल की संरचना में नवीनतम तकनीक का उपयोग किया है। बारक मिसाइल को भारत के नौसेना और भारतीय वायु सेना द्वारा उपयोग किया जाता है। बराक-8 मिसाइल की मारक क्षमता 70 से 90 किलोमीटर है।
अग्नि-1 मिसाइल (Agni-1 Missile)
अग्नि-1 मिसाइल मध्यम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे इंटीग्रेटिड गाइडिड मिसाइल डेवलेपमेंट प्रोग्राम के तहत डीआरडीओ ने विकसित किया है। इस मिसाइल का वजन करीब 12 टन और इसकी लंबाई 15 मीटर है। इस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 1000 किलोमीटर है। इसे रेल या सड़क मार्ग द्वारा ले जाया जा सकता है। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 2002 में व्हीलर द्वीप से किया गया था। कारगिल युद्ध के दौरान भारत को मध्यम दूरी की मिसाइल की आवश्यकता महसूस हुई थी। अग्नि-2, जिसकी रेंज 2500 किलोमीटर और पृथ्वी मिसाइल, जिसकी रेंज 250 किलोमीटर है के बीच के अंतर को अग्नि-1 के विकास के साथ दूर किया गया। डीआरडीओ अग्नि-1 मिसाइल में नई तकनीक का इस्तेमाल करके अग्नि-1पी का निर्माण किया है। इसमें अग्नि-4 और अग्नि-5 की नई तकनीकों को सम्मिलित किया गया है।
अग्नि-2 मिसाइल (Agni-II missile)
अग्नि-2 डीआरडीओ द्वारा विकसित बैलिस्टिक मिसाइल है, जो अग्नि-1 मिसाइल की तुलना में अधिक दूर तक पहुंच सकती है। इस मिसाइल की लंबाई 20 मीटर होती है और इसका वजन 17 टन होता है। यह पारंपरिक और परमाणु ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 2 हजार किलोमीटर तक है।
अग्नि-3 मिसाइल (Agni-III missile)
अग्नि-3 मिसाइल का वजन 50 टन है और इसकी लंबाई 17 मीटर होती है। यह मिसाइल 3,500 से 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। अग्नि-3 मिसाइल इनरसिया सिस्टम के साथ लैस होती है जो इसे अधिक सटीक बनाता है। इस मिसाइल में दो चरण वाले प्रणोदक ईंधन का प्रयोग किया जाता है।
अग्नि-4 मिसाइल (Agni-IV missile)
यह बैलिस्टिक मिसाइल है, जो दो चरणों में विभाजित होती है। इस मिसाइल का उपयोग लंबी दूरी के लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। अग्नि-4 मिसाइल का वजन 17 टन और इसकी लंबाई 20 मीटर है। इस मिसाइल की क्षमता है कि यह 4,000 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
अग्नि-5 मिसाइल (Agni-5 missile)
अग्नि-5 मिसाइल का वजन 50 टन होता है और इसकी लंबाई 17 मीटर होती है। यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। इस मिसाइल का उपयोग पारंपरिक और परमाणु हथियारों को ले जाने में किया जा सकता है। इस मिसाइल का ड्यूएल एक्शन सिस्टम होता है, जिससे इसे तेजी से फायर किया जा सकता है। अग्नि-5 मिसाइल भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार है जो विभिन्न युद्ध स्थलों में उपयोग किया जा सकता है। इस मिसाइल ने भारत के रक्षा तंत्र की ताकत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत की इस मिसाइल को अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल माना जाता है।
पृथ्वी मिसाइल (Prithvi Missile)
पृथ्वी मिसाइल डीआरडीओ द्वारा विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। छोटी दूरी के लक्ष्यों को भेदने के लिए इस मिसाइल का प्रयोग किया जा सकता है। पृथ्वी-1 मिसाइल का वजन 4,000 किलोग्राम और इसकी लंबाई 9 मीटर होती है। यह मिसाइल 150 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्यों को निशाना बना सकती है।
पृथ्वी-2 मिसाइल भारतीय सेना द्वारा उपयोग में लाए जाने वाली पृथ्वी सीरीज की एक बैलिस्टिक मिसाइल है। इस मिसाइल का विकास भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा किया गया था। इस मिसाइल की लंबाई 9 मीटर होती है और इसका वजन 6,400 किलोग्राम होता है। पृथ्वी-2 मिसाइल का रेंज 350 किलोमीटर होता है और इसकी रेंज में पड़ोसी शत्रु देश आता है। इस मिसाइल के पास नाइट विजन, इंफ्रारेड सेंसर और रेडार जैसी प्रौद्योगिकी होती है, जो इसे बहुत सटीक बनाती है। पृथ्वी-2 मिसाइल एक सीआरपीएफ (सीलेक्टिवली कन्ट्रोल्ड रेडियो इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़) के साथ लैस होती है जो इसे बहुत ही सटीक बनाता है। इस मिसाइल को मोबाइल लांचर से दागा जा सकता है।
प्रलय मिसाइल (Pralay missile)
यह डीआरडीओ द्वारा विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। प्रलय की मारक क्षमता 150 से 500 किलोमीटर है। इसको बनाने में कम्पेजिट मैटेरियल का इस्तेमाल किया है। यह मिसाइल 350 से 700 किग्रा तक का पारंपरिक व परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। इसका प्रथम परीक्षण 2021 में किया गया था।
ब्रह्मोस मिसाइल (brahmos missile)
ब्रह्मोस मिसाइल सुपरसोनिक क्रुज मिसाइल है। इसे दुनिया की बेहतरीन सुपरसोनिक मिसाइलों में गिना जाता है। इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इसका नामकरण भारत की ब्रहमपुत्र नदी और रूस की मस्कोवा नदी के नाम पर किया गया है। इसका पहला परीक्षण सन 2001 में किया गया था। इसमें दो स्टेज ईंधन का प्रयोग किया जाता है। पहले चरण में सॉलिड राकेट बूस्टर का प्रयोग किया जाता है। दूसरे चरण में लिक्वड रैमजेट इंजन का प्रयोग किया जाता है। ब्रह्मोस का नया वर्जन ब्रह्मोस एनजी विकसित किया गया है, जो कि ब्रह्मोस से हल्का और अधिक वजन ले जाने में सक्षम है।