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Hathras Stampede: नारायण साकार उर्फ भोले बाबा पर राजनीतिक पार्टियों की चुप्पी क्या कहती है?

Bhole Baba Latest Update: हाथरस के मुगलगढ़ी में आयोजित नारायण साकार हरि के सत्संग कार्यक्रम में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, लेकिन मामले में दर्ज एफआईआर में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है।

हाथरस घटना में बाबा की खुली पोल।
Government Reaction on Hathras Stampede: उत्तर प्रदेश में हाथरस जिले के मुगलगढ़ी में आयोजित नारायण साकार हरि के सत्संग में 2 जुलाई को भगदड़ मच गई थी, लेकिन 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, लेकिन मामले में दर्ज एफआईआर में नारायण साकार उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है। पुलिस भले ही नारायण साकार हरि को गिरफ्त में लेने के लिए हाथ पांव मार रही हो, लेकिन दलित राजनीति के केंद्र उत्तर प्रदेश की सियासत के खिलाड़ी नारायण साकार के खिलाफ खुलकर बोलने से बच रहे हैं। जाहिर है कि इसके पीछे भी वोट की राजनीति है। यह भी पढ़ें- मोहिनी मंत्र, भूत-प्रेत, अप्सराओं के बीच डांस…हाथरस भगदड़ कांड से सुर्खियों में आए भोले बाबा का एक और ‘सच’

लोकसभा चुनाव के नतीजे दे रहे तस्दीक 

जाटव समुदाय से ताल्लुक रखने वाले नारायण साकार हरि के भक्तों में दलितों, पिछड़ों और अति पिछड़ों की संख्या काफी ज्यादा है। सभी राजनीतिक पार्टियों को पता है कि दलित-पिछड़े उनकी राजनीति के लिए कितने जरूरी हैं? चाहे 2014 का चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव, भाजपा को दलितों और पिछड़ों ने भरपूर वोट किया। 2024 के चुनाव में यही वर्ग सपा और कांग्रेस के गठबंधन की ओर गया और बीते लोकसभा चुनाव के नतीजे इसकी तस्दीक भी करते हैं। यह भी पढ़ें-‘क्या बात हुई बता नहीं सकता…’ इस्तीफे के बाद जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे किरोड़ी लाल मीणा का बड़ा बयान

अखिलेश यादव का बयान

हाथरस में भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद अखिलेश यादव ने जो प्रतिक्रिया दी, वह सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। अखिलेश यादव ने खुलकर नारायण साकार के खिलाफ कुछ नहीं कहा, बल्कि पत्रकारों के सवाल 'बाबा की गिरफ्तारी की मांग करेंगे' के जवाब में सपा सुप्रीमो ने कहा कि किस बाबा की गिरफ्तारी कराएं? यूपी में दो बाबा हैं। ये बताता है कि नारायण साकार हरि के मामले में यूपी की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का क्या रुख है? यह भी पढ़ें-Hathras Stampede: मिल गया ‘भोले बाबा’! इस आश्रम में होने का शक, STF ले गई दस्तावेज और गाड़ियां

नारायण साकार हरि को था पूरा अंदाजा

बता दें कि बसपा सरकार में नारायण साकार हरि को राज्य सरकार की ओर से एस्कॉर्ट और पायलट वाहनों का पूरा प्रोटोकॉल मिला हुआ था। जाहिर है कि बाबा बसपा की राजनीति के लिए मुफीद थे। नारायण साकार हरि को अपने भक्तों की सामाजिक और राजनीतिक ताकत का पूरा अंदाजा था, लेकिन वह इसे प्रकट नहीं करते थे। नारायण साकार हरि के निर्देशो के मुताबिक, न ही उनके बैनर पोस्टर, झंडे और होर्डिंग्स लगाने की मनाही थी, न ही उनका बेवजह प्रचार किया जाता था। यह भी पढ़ें-Dev Prakash Madhukar: हाथरस हादसे का मुख्य आरोपी, मनरेगा में करता था काम, फिर बना बाबा का सेवादार

लोग जानते ही नहीं कि बाबा कौन?

नारायण साकार की सोशल मीडिया पर कोई मौजूदगी भी नहीं थी। जाहिर है कि जब हाथरस में घटना हुई तो बहुत लोगों को पता ही नहीं था कि आखिर ये बाबा हैं कौन? थोड़ी बहुत जानकारी यह थी कि कोरोना काल के दौरान सत्संग के एक कार्यक्रम को लेकर बाबा सुर्खियों में थे। नारायण साकार के बेवजह प्रचार से दूर रहने की रणनीति भी स्ट्रैटजिक थी, इसमें कोई शक नहीं है। यह भी पढ़ें-Hathras Stampede होते ही मौके से कैसे भागा ‘बाबा’ सूरजपाल? CCTV में खुल गई पोल

पार्टियों की निगाहें दलित वोटों पर

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में एक सीट जीतने वाली बसपा 2024 के लोकसभा में कोई सीट नहीं जीत पाई है। बसपा का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है, जाहिर है कि सभी पार्टियों की निगाहें दलित वोटों पर हैं। ऐसे में नारायण साकार हरि पर बयानबाजी कर कोई भी पार्टी उनके भक्तों को नाराज नहीं करना चाहती है। घटना के बाद टेलीविजन चैनलों पर चलीं भक्तों की बाइट्स को देखें तो साफ हो जाता है कि नारायण साकार के भक्त घटना के लिए बाबा को दोषी नहीं मानते हैं, फिर राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता कैसे बाबा को कटघरे में खड़ा कर दें? यह भी पढ़ें-Video: ‘भोले बाबा’ के ‘आश्रम’ पर कब चलेगा सीएम योगी का ‘बुलडोजर’?


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