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Tungnath Temple: भक्तों के लिए खुला दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, जानें क्या है विशेषता?

Tungnath Temple: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में दुनिया के सबसे ऊंची शिव मंदिर (तुंगनाथ मंदिर) को बुधवार को भक्तों के लिए खोल दिया गया है। यह मंदिर मंदिर समुद्र तल से 12 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। शीतकालीन प्रवास के बाद यहां देव स्थापना की गई है। 12 हजार फीट की ऊंचाई […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Apr 27, 2023 15:05
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Tungnath Temple: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में दुनिया के सबसे ऊंची शिव मंदिर (तुंगनाथ मंदिर) को बुधवार को भक्तों के लिए खोल दिया गया है। यह मंदिर मंदिर समुद्र तल से 12 हजार फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। शीतकालीन प्रवास के बाद यहां देव स्थापना की गई है।

12 हजार फीट की ऊंचाई पर है तुंगनाथ मंदिर

जानकारी के मुताबिक 12,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर स्थित दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माने जाने वाले तुंगनाथ मंदिर के कपाट बुधवार सुबह देवता के शीतकालीन अवकाश के बाद खोल दिए गए हैं। देवता को ले जाने वाली एक पालकी मंगलवार को मार्कंडेय मंदिर से निकली और अगली सुबह चोपता होते हुए तुंगनाथ पहुंची।

पहली झलक के लिए पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु

मंदिर में भगवान की पहली झलक पाने के लिए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे। बताया जाता है कि तुंगनाथ रुद्रप्रयाग जिले में पंच केदार समूह का एक हिस्सा है। तुंगनाथ की अपनी एक विशेष मान्यता है। उत्तराखंड में इस वक्त चारधाम यात्रा चल रही है। इस यात्रा के दो मंदिर केदारनाथ और यमुनोत्री भी समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर हैं।

इन तारीखों को खुले चार धाम के मंदिर

बता दें कि 22 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई चार धाम यात्रा के लिए करीब 18 लाख तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जबकि केदारनाथ के कपाट मंगलवार को और बद्रीनाथ धाम के कपाट बुधवार को खोल दिए गए हैं। इस वक्त चारधाम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

ये है तुंगनाथ मंदिर की विशेषता

प्रचलित कथाओं के अनुसार, तुंगनाथ मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के बाद भगवान शिव पांडवों से नाराज थे। उनकी नाराजगी दूर करने के लिए पांडवों ने इन शिव मंदिर की स्थापना की थी। साथ ही कहा जाता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को पाने के लिए भी यहां तपस्या की थी।

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First published on: Apr 27, 2023 03:05 PM

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