Success Story: Puncture Man’s Son Becomes Judge: महान कवि और कविताकार हरिवंश राय बच्चन की कविता, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती…। को प्रयागराज के 26 साल के अमद अमहद ने चरितार्थ करके दिखा दिया है। न के बराबर संसाधन और मुस्किल भरा जीवन होने के बाद भी अहद आज सफलता की बुलंदियों पर हैं। अहद के पिता यहां के एक छोटे से गांव में पंचर की दुकान चलाते हैं। सिर्फ अहद ही नहीं, उनके दो भाइयों ने भी कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी है कि हर किसी को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
प्रयागराज के रहने वाले हैं अहद अमहद
न्यूज साइट टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अहद के पिता शहजाद अहमद (50) एक टायर मरम्मत की दुकान चलाते हैं। उनकी मां अफसाना बेगम (47) कपड़ों की सिलाई का काम करती हैं। उनका परिवार प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर ब्लॉक के बरई हरख गांव में रहते हैं। शहजाद और अफसाना एक ऐसे बेटे के खुशनसीब मां-बाप हैं, जिसने जीवन में कठिन से कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए जज (न्यायाधीश) बनने तक का सफर तय किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अहद अपना प्रशिक्षण पूरा करके जल्द ही सिविल जज (जूनियर डिवीजन) बनेंगे।
यह भी पढ़ेंः पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल पर महिलाओं के साथ किया संवाद, बोले- नवरात्रि का उत्साह दोगुना हो गया
बड़ा भाई इंजीनियर, छोटा भाई बैंक मैनेजर
शहजाद का घर जितना साधारण है, उनके संकल्प उतने ही असाधारण हैं। उन्होंने अपने तीन बेटों को स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया। बच्चों ने भी मां और पिता के संकल्पों का साकार करने के लिए जी-जान से मेहनत की। शहजाद का सबसे बड़ा बेटा समद (30) सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सबसे छोटा बेटा वजाहत (24) एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर है।
लॉकडाउन में शुरू की थी तैयारी
बीच के बेटे अहद अहमद ने साल 2019 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने अपना करियर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अधिवक्ता के सहायक (जूनियर वकील) के रूप में शुरू किया। हालांकि, उनकी महत्वाकांक्षा बार से बेंच तक जाने की थी। इसके लिए उन्होंने लॉकडाउन के दौरान जज की परीक्षा के लिए तैयारी शुरू की।
यह भी पढ़ेंः मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेने वाले अलर्ट, एडमिशन के नाम पर 21 हजार की ठगी, चेयरमैन समेत 5 लोग फंसे
157वीं पाई रैंक
अहद ने मीडिया को बताया कि मैंने फ्री ऑनलाइन कोचिंग क्लासेस की मदद ली, क्योंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी। 303 पदों के लिए हुई परीक्षा में उनकी रैंक 157 थी। उनकी मां ने मीडिया को बताया कि मेरे पति की कमाई में हम बमुश्किल खाना ही खा पाते थे, लेकिन फिर भी हमनें अपने बच्चों को पढ़ाई कराई। मैंने कई वर्षों पहले कपड़ों की सिलाई का काम शुरू किया। हम दोनों ने बहुत मेहनत की और हमारे प्रयास सफल हुए।