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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुई थी परशुराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, अब धूल फांक रही भगवान की मूर्ति

2022 में अखिलेश यादव द्वारा प्राण-प्रतिष्ठा किए गए भगवान परसुराम मंदिर की हालत बेहद खराब है। मूर्ति पर धूल की परत, छत से टपकता पानी और टूटी-फूटी संरचना इस बात का प्रतीक है कि चुनावी मौसम के बाद आस्था स्थलों की कैसे उपेक्षा होती है। मंदिर में न पुजारी है न रखरखाव करने वाला। पढ़ें लखनऊ से हमारे सहयोगी मनोज पांडेय की विशेष रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jul 4, 2025 23:29
Lucknow
परशुराम मंदिर की बदहाल स्थिति

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर जातीय राजनीति ने तूल पकड़ लिया है। इटावा में हुए कथावाचक कांड के बाद पक्ष और विपक्ष की तरफ से तरह-तरह के आरोपों की लाइन लगी हुई है। 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान अखिलेश यादव ने ब्राह्मण वोट बैंक साधने के लिए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से सटे हुए महुआ खेड़ा मजरा गांव में भगवान परशुराम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भाग लिया था, लेकिन आज उस मंदिर का बुरा हाल है।

लखनऊ में बने भगवान परशुराम के मंदिर की हालत बदतर है। स्थिति यह है कि भगवान परशुराम की मूर्ति की माला कई दिनों से नहीं बदली गई है। मंदिर की छत से पानी टपक रहा है और जगह-जगह काई जमी हुई है। बाहर का नजारा ऐसा है, जैसे मंदिर किसी जंगल में मौजूद हो।

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सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडे ने बनवाया था मंदिर

2022 विधानसभा चुनाव के दौरान सपा के पूर्व विधायक संतोष पांडे द्वारा बनवाए गए भगवान परशुराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में अखिलेश यादव शामिल हुए थे। आज इस मंदिर की दुर्दशा देखकर सवाल उठता है कि क्या भगवान परशुराम सिर्फ चुनाव में ही याद आते हैं? मंदिर में 108 फीट ऊंचा फरसा स्थापित किया गया था, जो कुछ ही दिनों बाद गिर गया था। बाद में इसे दोबारा लगाया गया, लेकिन जिस स्तंभ में फरसा लगाया गया है, उसका हाल भी अब बेहाल हो चुका है।

न्यूज 24 की टीम जब मंदिर में पहुंची तो पाया कि भगवान परशुराम की मूर्ति पर धूल की परत जमी हुई है। देखने से ऐसा लगता है कि वर्षों से माला नहीं बदली गई है। मंदिर के स्तंभ का चबूतरा टूटा हुआ है, मंदिर की सीढ़ियाँ भी टूट चुकी हैं। छत से पानी टपक रहा है, काई लग चुकी है और मंदिर का स्तंभ भी जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है।

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मंदिर की बदहाली

जब मंदिर बना था, तब उसमें सौर ऊर्जा लाइट लगाई गई थी। जिस खंभे में सौर ऊर्जा लाइट लगाई गई थी, उस खंभे का पैनल गायब है। लाइटिंग के स्विच उखड़े पड़े हैं, तार टूटे हुए हैं, लाइटें भी टूटी हुई हैं और बैटरी बाहर लटकी हुई है।

इस मंदिर में ना कोई पुजारी है और ना ही कोई रखरखाव करने वाला। मंदिर के पास बने घर में जाकर न्यूज 24 की टीम ने जब बात की तो महिलाओं ने बताया कि संतोष पांडे ने यह मंदिर बनवाया था। 4-5 महीने तक यहां एक शख्स को रखा गया था, जो सुबह-शाम दिया जलाते थे और साफ-सफाई करते थे। तब लाइटें भी काम करती थीं और जलाई जाती थीं। लेकिन यह सब मंदिर बनने के सिर्फ 4-5 महीने तक ही चला। बाद में यादव जी को पैसा नहीं दिया गया, जिसकी वजह से उन्होंने मंदिर आना छोड़ दिया। एक अन्य महिला ने बताया कि एक-दो महीने में बड़ी-बड़ी गाड़ियों से लोग आते हैं, दिया जलाते हैं, कुछ देर रुकते हैं और चले जाते हैं।

First published on: Jul 04, 2025 11:29 PM

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