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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

‘मेड इन इंडिया’ का बढ़ता कदम, बदल रहा भारतीय कृषि का भविष्य, पतंजलि का ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान

भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले किसान अक्सर संसाधनों की कमी और आर्थिक परेशानियों से जूझते हैं। लेकिन पतंजलि ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है। आर्गेनिक खेती, उचित मूल्य और नई तकनीकों के जरिए यह सिर्फ एक ब्रांड नहीं बल्कि भारतीय कृषि में क्रांति लाने वाला आंदोलन बन चुका है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Mar 28, 2025 13:59
Patanjali agriculture
Patanjali agriculture

भारत का किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं बल्कि देश की आत्मा है। उसकी मेहनत से हमारी थाली भरती है लेकिन अक्सर वही किसान आर्थिक तंगी, कम कीमतों और सही संसाधनों की कमी से जूझता रहता है। ऐसे में पतंजलि ने किसानों के जीवन में बदलाव लाने की एक अनोखी पहल की है। यह सिर्फ एक ब्रांड नहीं बल्कि ग्रामीण भारत के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है। अपने आर्गेनिक खेती कार्यक्रमों, अनुबंध खेती और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर पतंजलि ने हजारों किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है। यह सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि भारतीय कृषि और किसानों के सम्मान की एक नई शुरुआत है।

पतंजलि के ग्रामीण सशक्तिकरण प्रयासों से किसानों को नया जीवन

पतंजलि आयुर्वेद सिर्फ एक बड़ा ब्रांड ही नहीं बल्कि किसानों और गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद कर रहा है। अपने अलग-अलग योजनाओं और प्रयासों से पतंजलि ने खेती और किसानों की स्थिति में सुधार लाने का काम किया है। किसानों को उनके प्रोडक्ट का सही दाम मिल रहा है और जैविक खेती को बढ़ावा देकर पर्यावरण की भी रक्षा की जा रही है। इससे गांवों में आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है और नए रोजगार के मौके भी बन रहे हैं।

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किसानों के लिए वरदान बने पतंजलि के प्रोडक्ट और खेती के प्रयास

पतंजलि आयुर्वेद, पतंजलि फूड्स और दिव्य फार्मेसी को अपने प्रोडक्ट बनाने के लिए अच्छे अनाज, मसाले और औषधीय जड़ी-बूटियों की जरूरत होती है। इसके लिए कंपनी किसानों के साथ मिलकर खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) करती है जिससे किसानों को एक तय कीमत पर अपनी फसल बेचने का मौका मिलता है और उनकी आमदनी पक्की हो जाती है। दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट और पतंजलि योगपीठ उन औषधीय पौधों की खेती भी करते हैं जो धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं। साथ ही पतंजलि आर्गेनिक खाद और प्राकृतिक कीटनाशक जैसे प्रोडक्ट भी बेचता है जिससे किसानों को केमिकल वाले प्रोडक्ट से होने वाले नुकसान से बचने में मदद मिलती है।

पतंजलि किसान समृद्धि कार्यक्रम से किसानों को नई दिशा

पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट (PORI) ने “पतंजलि किसान समृद्धि कार्यक्रम” शुरू किया है जो किसानों को आर्गेनिक खेती के फायदे समझाने और नई टेक्नोलॉजी की जानकारी देने पर ध्यान देता है। इसका मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना उन्हें आर्गेनिक खेती सिखाना और पर्यावरण के अनुकूल खेती को बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) और एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ इंडिया का भी समर्थन मिला है। इसमें किसानों को प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है जिससे वे नई और बेहतर खेती की टेक्नोलॉजी को अपनाकर आत्मनिर्भर बन सकें।

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स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम

पतंजलि पूरी तरह से ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड है जो भारतीय कच्चे माल से अपने प्रोडक्ट बनाकर देश में ही बेचता है। इसके प्रोडक्ट किफायती होते हैं जिससे आम लोग इन्हें आसानी से खरीद सकते हैं और लोकल मार्केट को भी बढ़ावा मिलता है। पतंजलि का फ्रेंचाइजी मॉडल लोगों को खुद का बिजनेस शुरू करने का मौका देता है जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं। इसके अलावा कंपनी भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अपने अनुसंधान एवं विकास (R&D) केंद्रों में काम करने का भी अवसर देती है। कुल मिलाकर पतंजलि किसानों, लोकल अर्थव्यवस्था और देश के विकास में मदद कर रहा है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है।

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Edited By

Ashutosh Ojha

First published on: Mar 28, 2025 01:59 PM

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