Joshimath Sinking: जोशीमठ का भू-धंसाव उत्तराखंड और इसकी पर्वत श्रृंखलाओं की नाजुक पारिस्थितिकी के लिए बांधों, वनों की कटाई, जंगल की आग, और मिलियन डॉलर की सड़क परियोजनाओं के प्रसार से उत्पन्न खतरों को उजागर कर रहा है। दशकों पहले, पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं ने जोखिमों को बताया था, जो जोशीमठ के संकट के बाद अब सामने आ गए हैं।
जोशीमठ एक महत्वपू्र्ण मार्ग
6,000 फीट (1,830 मीटर) से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, जोशीमठ एक भूकंपीय क्षेत्र है जो कई सुरम्य कस्बों और गांवों से घिरा हुआ है जो तीर्थ स्थलों (बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब) के प्रवेश द्वार पर है। अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग स्थल (Auli) और चीन के साथ भारत के सीमा विवाद में रणनीतिक चौकियां को यहां से रास्ता है।
वर्तमान में, लगभग 1.9 बिलियन डॉलर की संयुक्त अनुमानित लागत वाली चार जलविद्युत परियोजनाएं उत्तराखंड में निर्माणाधीन हैं।
उत्तराखंड के इन स्थानों पर जोखिम
टिहरी: क्षेत्र के कुछ घरों में दरारें आई हैं। टिहरी बांध भारत का सबसे ऊंचा बांध है और सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है।
माना: चीन के साथ सीमा पर अंतिम भारतीय गांव माना जाता है, यह एक प्रमुख सैन्य प्रतिष्ठान भी है जहां 2020 की गर्मियों में नवीनतम भारत-चीन सीमा गतिरोध के बाद सेना की ताकत को बढ़ाया गया था।
धरासू: पहाड़ी शहर में विवादित हिमालयी सीमा पर सैनिकों और सामग्री को ले जाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना दोनों के लिए लैंडिंग ग्राउंड महत्वपूर्ण है। इस पैच में अमेरिका निर्मित सी-130 ट्रांसपोर्टर उतरते हैं।
गौचर: जोशीमठ से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में और सीमा से सिर्फ 200 किलोमीटर की दूरी पर एक महत्वपूर्ण नागरिक और सैन्य अड्डा है। 2013 में भारतीय वायु सेना के बचाव और राहत प्रयासों का बड़ा हिस्सा इसी शहर से किया गया था।
पिथौरागढ़: यह एक महत्वपूर्ण सैन्य और नागरिक केंद्र है। एक बड़ा प्रशासनिक केंद्र होने के अलावा, इसमें एक हवाई पट्टी है जो बड़े विमानों को समायोजित कर सकती है और सेना के लिए महत्वपूर्ण है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चंपावत, उत्तरकाशी और कर्णप्रयाग के कुछ क्षेत्रों में भी जोशीमठ जैसी दरारें आई हैं।