देश के सबसे लंबी उम्र के शख्स का निधन हो गया है। 128 साल के योग गुरु शिवानंद बाबा बाबा अब दुनिया में नहीं रहे। उन्होंने 3 मई दिन शनिवार की रात उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आखिरी सांस ली। वे कई दिन से काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल के जेट्रिक वार्ड में भर्ती थे। दुनियाभर के देशों में उनके अनुयायी हैं, जिन तक उनके निधन की खबर पहुंच गई है। 5 मई दिन सोमवार को हरिश्चंद्र घाट बाबा का अंतिम संस्कार होगा।
बाबा के पार्थिव शरीर को दुर्गाकुंड में कबीर नगर कॉलोनी में उनके आश्रम में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया है। बाबा शिवानंद को साल 2022 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जब वे पद्मश्री लेने गए थे तो उन्होंने झुककर प्रधानमंत्री मोदी को नमन किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन किया था। इस मौके का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। आइए जानते हैं कि शिवानंद बाबा कौन थे?
125 year old Shivanand Baba conferred with #Padmashri#PeoplesPadma pic.twitter.com/hSxxTeDViA
---विज्ञापन---— Nivane Kalanath Bhat (@KalanathNivane) March 21, 2022
शिवानंद बाबा कौन थे?
शिवानंद बाबा के आधार कार्ड के अनुसार उनकी उम्र 8 अगस्त 1896 है। उनका जन्म बांग्लादेश के श्रीहट्ट जिले के गांव हरिपुर में हुआ था। यह इलाका पहले भारत में थे। शिवानंद बाबा हाल ही में महाकुंभ में भी आए थे, जहां उन्होंने योग शिविर भी लगाया था। शिवानंद बाबा के परिवार में 4 लोग माता-पिता, बहन और वह थे। शिवानंद बाबा को 3 दिन पहले सांस लेने में दिक्कत होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 21 जनवरी 2022 को पद्मश्री पुरस्कार देकर तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शिवानंद बाबा को सम्मानित किया था।
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क्यों और कैसे बने बने योग गुरु?
शिवानंद योग गुरु कैसे बने? इस बारे में बताया जाता है कि उनके माता-पिता और बहन की मौत भूखे रहने के कारण हो गई थी, क्योंकि गरीबी के कारण उन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता था। इस हादसे का उनके जीवन पर बुरा असर पड़ा। उन्होंने 4 साल की उम्र में ही घर त्याग दिया और 6 साल की उम्र में बाबा ओंकारानंद गोस्वामी से दीक्षा ले ली। बाबा गोस्वामी ने उन्हें योग सिखाया। भूख और भोजन का महत्व बताया। फिर उन्होंने संकल्प लिया कि वे आजीवन अपना पेट आधा भरेंगे। पूरी दुनिया को योग सिखाएंगे और भूख-भोजन का महत्व बताएंगे। आखिरी सांस तक योग उनके जीवन का हिस्सा रहा।
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बाबा कब आए थे वाराणसी?
मिली जानकारी के अनुसार, शिवानंद बाबा ने 1977 में वृंदावन के एक आश्रम में दीक्षा ली थी। करीब 2 साल वृंदावन में रहने के बाद वे वाराणसी आ गए थे और शिव नगरी काशी में ही निवासी करने लगे। योग और व्यायाम से उनके दिन की शुरुआत होती थी। वे फल नहीं खाते थे और दूध भी नहीं पीते थे। 121 साल की उम्र में बाबा ने साल 2017 में पहली बार विधानसभा चुनाव में मतदान किया था।