उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के सभी स्कूल कल यानी शनिवार को बंद रहेंगे। इसको लेकर शुक्रवार को जिला विद्यालय निरीक्षक, गाजियाबाद द्वारा एक प्रेस नोट जारी किया गया है। प्रेस नोट में कहा गया है कि गाजियाबाद के समस्त माध्यमिक विद्यालय, संस्कृत माध्यमिक विद्यालय, उत्तर प्रदेश मदरसा यूपी बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के सभी स्कूल बंद रहेंगे।
सीकरी मेले के चलते स्थानीय अवकाश घोषित
प्रेस नोट में आगे कहा गया है कि गाजियाबाद जिला अधिकारी के निर्देशानुसार सीकरी मेले के चलते 05 अप्रैल को स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है। जिलाधिकारी गाजियाबाद कार्यालय द्वारा सार्वजनिक अवकाशों की तिथियों, जो निगोशिएबुल एन्स्मेंट एक्ट 1881 के अधीन होती है की सूची में 5 अप्रैल को मोदीनगर में लगने वाले सीकरी मेला के कारण स्थानीय अवकाश घोषित किया गया है।
400 वर्षों से लगता आ रहा सीकरी मेला
गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित महामाया देवी मंदिर में हर वर्ष चैत्र नवरात्रि में सीकरी मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला करीब 400 वर्षों से लगता आ रहा है। इस मेले में राजस्थान, दिल्ली, यूपी और हरियाणा सहित देश के अन्य राज्यों से लोग आते हैं। इस साल इस ऐतिहासिक सीकरी महामाया देवी मंदिर मेले में करीब 20 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं। साथ ही ड्रोन से निगरानी की जा रही है।
लाखों भक्त माता के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं
इस मंदिर की मान्यताएं इतनी गहरी हैं कि हर साल यहां विशाल मेले का आयोजन होता है, जहां लाखों भक्त माता के दर्शन और पूजन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु मां महामाया देवी के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। एक बार फिर इस भव्य मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। गाजियाबाद के मोदीनगर स्थित श्री महामाया देवी मंदिर में नवरात्रि के दौरान ऐतिहासिक सीकरी मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना रहता है. इसकी तैयारियों का जायजा लेने के लिए जिलाधिकारी दीपक मीणा ने गुरुवार देर रात मेला स्थल का निरीक्षण किया।
मंदिर में ‘शहीदों का वट वृक्ष’
महामाया देवी मंदिर का सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी है। यहां एक विशाल वट वृक्ष है जिसे ‘शहीदों का वट वृक्ष’ कहा जाता है। मान्यता है कि 1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने इस इलाके को चारों तरफ से घेर लिया था। उस समय गांव के लोग अंग्रेजों के हमले से बचने के लिए मंदिर के तहखाने में छिप गए थे, लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें पकड़कर इसी वट वृक्ष पर फांसी दे दी थी। तब से यह वट वृक्ष 1857 की क्रांति की गवाही देता है।