Banke Bihari Temple Land Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थिति विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर की जमीन में अधिकारियों ने बड़ा खेल कर लिया। साल 2004 में मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दस्तावेजों में दर्ज कर दिया गया। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के छाता उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को जमीन को वापस राजस्व रिकॉर्ड में बांके बिहारी महाराज के नाम से दर्ज करने का आदेश दिया है।
2004 में भोला खान पठान ने किया था खेल
जानकारी के मुताबिक, श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से दायर रिट याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने उन सभी आदेशों को रद्द कर दिया है, जिनमें मंदिर बांके बिहारी महाराज की भूमि को कब्रिस्तान के नाम पर बदला गया था। याचिकाकर्ता के अनुसार, भोला खान पठान नाम के एक शख्स ने राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करके 2004 में बाके बिहारी मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में पंजीकृत करा लिया था।
नाम हटाया लेकिन मालिक नहीं बदला
जब मंदिर पक्ष की ओर से आपत्तियां उठाई गई तो कब्रिस्तान के रूप में भूमि की एंट्री को हटा दिया गया, लेकिन मंदिर को जमीन के मालिक के रूप में नहीं दिखाया गया। राजस्व अभिलेखों की बात करें तो विवादित भूमि प्लॉट नं. 1081, मथुरा जिले की छाता तहसील के शाहपुर गांव में स्थित है।
पहले भी दाखिल हुई थी याचिका
बता दें कि इससे पहले 11 अगस्त 2023 को कोर्ट ने एक याचिका में छाता तहसीलदार की व्यक्तिगत उपस्थिति की मांग की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मथुरा के श्री बांके बिहारी मंदिर की भूमि राजस्व रिकॉर्ड में एक समय में कब्रिस्तान की भूमि के रूप में दर्ज थी, लेकिन आज तक मंदिर को जमीन का मालिक नहीं दिखाया गया है।
11 अगस्त के उसी आदेश में कोर्ट ने तहसीलदार से प्लॉट नंबर 1081 पर उपलब्ध प्रविष्टियों (दस्तावेजों) को बदलने के लिए समय-समय पर राजस्व अधिकारियों की ओर से की गई कार्यवाही की व्याख्या करने के लिए कहा था।