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आजादी के 76 साल बाद भी इस गांव तक नहीं पहुंची बिजली, लालटेन युग में जीने मजबूर लोग

Electricity Not Reached This UP Village After 76 Years of Independence: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के इस गांव में आजादी के 76 साल बाद भी अब तक बिजली सनेत कई मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। यहां के लोग आज भी लालटेन युग का जीवन जीने को मजबूर है।

Edited By : Pooja Mishra | Updated: Jan 6, 2025 13:24
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Electricity Not Reached This UP Village After 76 Years of Independence

Electricity Not Reached This UP Village After 76 Years of Independence: देश को आजाद हुए 76 साल हो गए हैं, इन सालों में देश ने काफी तरक्की की है। आज हमारा देश दुनिया की टॉप 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। इसके बावजूद देश में कई ऐसे हिस्से हैं, जहां ये देश की तरक्की पहुंच नहीं पाई है। इन इलाकों में आज भी लोग लालटेन युग में रहने को मजबूर हैं। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के अंतर्गत नौगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिकनी में स्थित औरवाटांड गांव की।

जंगल के बीचो-बीच 400 की आबादी का गांव

इस गांव की आबादी करीब 400 है और यहां 150 वोटर भी हैं। इस गांव से 80 किमी चंदौली जिला मुख्यालय और 10 किमी दूर तहसील मुख्यालय नौगढ़ है। जंगल के बीचो-बीच कर्मनाशा नदी के तट पर बसा औरवाटांड गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इस गांव तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता तक नहीं है। मेडिकल इमरजेंसी में यहां 108 और 102 एंबुलेंस भी बमुश्किल ही इस गांव में पाएंगी। यहां के लोग आज भी मिट्टी से बने घर में रहते हैं। इस गांव के वनवासी खरवार जाति के लोग खेती और मजदूरी के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। गांव में बच्चों की पढ़ाई भी एक एनजीओ के द्वारा चलाई जा रही है, यहां एक कमरे के स्कूल में ही पूरे गांव के बच्चे पढ़ते हैं।

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गांव तक पहुंची सुविधाएं

आपको जानकर हैरानी होगी कि रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से लगातार 3 बार सांसद चुने गए छोटेलाल खरवार, दो बार गांव से ग्राम प्रधान चुने जा चुके हैं। बावजूद इसके आज तक गांव में किसी तरह की कोई सुविधा नहीं पहुंची। छोटेलाल खरवार ने साल 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर रॉबर्ट्सगंज लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। इस बार साल 2024 में उन्होंने इसी सीट से सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। देखा जाए तो राज्य और केंद्र सरकार द्वारा गांव के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।

सूख जाता है कुआं

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जब गांव के लोगों ने बताया कि आजादी के बाद से अब तक इस गांव में बिजली नहीं आई। उन्होंने बिजली के न तो खंभे देखें और न ही बिजली के तार ही देखें। जब वे किसी काम से नौगढ़ मुख्यालय जाते हैं तो वहां बिजली देखते हैं, तब उनका भी मन में होता है कि आखिर उन्हें किस गुनाह की सजा दी जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं है। कुएं और हैंडपंप का पानी वे पीने के लिए इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। पास में कर्मनाशा नदी है, जब कुआं सूख जाता है और हैंडपंप से पानी नहीं आता, तो कर्मनाशा नदी का पानी लाकर वे लोग पीते हैं। गांव जंगल के बीच में और नदी किनारे बसा होने के कारण बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। हम लोग मजदूरी करके अपना जीवन चला रहे हैं और मिट्टी के घर में रहने को मजबूर हैं।

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ग्रामीण ने की जिलाधिकारी से लगाई गुहार

शनिवार को नौगढ़ तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान बड़ी संख्या में औरवाटांड गांव के ग्रामीण, महिला-पुरुष, नौगढ़ तहसील पहुंचे और जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फूंडे को पत्र देकर गुहार लगाई। वहीं जिलाधिकारी ने लोगों को भरोसा दिया कि जो भी दिक्कते हैं, उन्हें जल्दी दूर किया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि 2021 से वो लोग लगातार अधिकारियों के यहां चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

नहीं हो रही कोई सुनवाई

वहीं गांव के प्रधान ने बताया कि 2021 से वे लगातार जिलाधिकारी और संपूर्ण समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र देकर गांव की समस्या को दूर करने और बिजली गांव में पहुंचने के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्राम प्रधान संतराम यादव का कहना है कि वन विभाग कहता है कि जो रास्ता गांव में गया वह जंगल की जमीन में है, इसलिए बिजली नहीं जा पाएगी और गांव भी जंगल की जमीन में बसा है। अगर गांव जंगल की जमीन में बसा है, तो गांव के जमीन की खसरा खतौनी तहसील प्रशासन द्वारा कैसे जारी कर दी गई। जितनी जगह में ग्रामीण बसे हैं, वह राजस्व की जमीन है और बकायदे नौगढ़ तहसील के अभिलेखों में दर्ज है।

होगी पुराने पट्टे की जांच

इस संबंध में तहसील दिवस में मौजूद डीएफओ चंदौली दिलीप श्रीवास्तव ने बताया कि नौगढ़ तहसील दिवस में अभी यह मामला उनके संज्ञान में आया है। उसके लिए डीएम साहब की तरफ से एक कमेटी बना दी गई है। गांव के लोग कुछ खतौनी दिखा रहे हैं। इसको चेक कर लिया जाए कि वास्तव में खतौनी उनकी है या कोई पुराना पट्टा जंगल की जमीन पर है। अगर जंगल की जमीन पर पट्टा पाया जाएगा, तो उसे कैंसिल कराया जाएगा।

जानिए क्या बोले जिलाधिकारी?

वहीं इस मामले में जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फूंडे ने बताया कि चिकनी ग्राम पंचायत का एक पुरवा औरवाटांड है। यहां विवाद यह है कि यह जमीन वन विभाग की है या राजस्व विभाग की। यह जमीन राजस्व विभाग की साबित हो जाती है, जो कि 2 साल पहले के सर्वे में राजस्व विभाग की जमीन पाई गई थी। उसकी जांच के लिए दोबारा निर्देश दिया गया है। अगर जांच के बाद यह राजस्व विभाग की जमीन पाई जाती है या निजी जमीन पाई जाती है, तो इसके ऊपर विद्युत विभाग द्वारा बिजली सप्लाई करने की कार्रवाई की जाएगी।

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Edited By

Pooja Mishra

First published on: Jan 06, 2025 01:24 PM

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