Atiq Ahmed Crime Record: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उमेश पाल अपहरण और हत्याकांड का आरोपी गैंगस्टर अतीक अहमद माफिया से नेता बना। 62 वर्षीय अतीक अहमद ने वर्ष 1979 में एक हत्या करने के बाद अपराध की दुनिया (Atiq Ahmed Crime Record) में कदम रखा था। अब उसके खिलाफ 100 से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। ताजा मामला 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड का है। वर्ष 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी।
उमेश पाल हत्याकांड से लिंक
अतीक अहमद कथित तौर पर वर्ष 2005 में हुई राजू पाल की हत्या में शामिल था। अतीक और उसके सहयोगियों ने कथित तौर पर 2006 में उमेश पाल का अपहरण किया। उसे अपने पक्ष में कोर्ट में बयान देने के लिए मजबूर किया गया। बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी, तब से मामला कोर्ट में चल रहा है।
परिवार के ये लोग भी हैं आरोपी
उमेश पाल की 24 फरवरी को प्रयागराज में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उमेश पाल की पत्नी जया की शिकायत पर प्रयागराज के धूमनगंज थाने में अतीक, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और नौ अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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दो आरोपी एनकाउंटर में ढेर
मुकदमे में यह भी आरोप लगाया गया है कि अतीक, अशरफ और शाइस्ता परवीन ने उमेश पाल और उनके दो सुरक्षा गार्डों को मारने की साजिश रची थी। मुकदमे में कहा गया था कि ये हमला पूर्व सांसद के बेटों और सहयोगियों की ओर से किया गया था। उमेश पाल की हत्या से कथित तौर पर जुड़े दो लोग अरबाज को 27 फरवरी और विजय चौधरी उर्फ उस्मान को 6 मार्च को पुलिस ने मुठभेड़ों में मार गिराया।
उत्तर प्रदेश से साबरमती जेल तक का सफर
जून 2019 से अतीक को साबरमती की सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया। आरोप था कि यूपी में जेल में रहने के दौरान रियल एस्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अतीक को साबरमती जेल भेजा गया था। अतीक को सोमवार (27 मार्च) को 1271 किमी के सड़क मार्ग से एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की टीम साबरमती जेल से लेकर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज की नैनी जेल लेकर पहुंची।
अतीक के परिवार का क्रिमिनल बैकग्राउंड
अतीक अहमद के खिलाफ वर्ष 1985 से अब तक 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 50 मामले विचाराधीन हैं, वहीं 12 मामलों में अतीक को बरी कर दिया गया थी, जबकि दो अन्य में तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने 2004 में मामलों को वापस ले लिया था। बता दें कि अतीक के भाई अशरफ पर 53 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से एक में अशरफ को बरी किया गया था, जबकि अन्य कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसी तरह अतीक के बेटों पर 8 मामले दर्ज हैं। वहीं अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीर पर भी चार मुकदमे हैं।
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ऐसे शुरू हुआ अतीक का राजनीतिक कैरियर
पांच बार का विधायक अतीक वर्ष 2004 में समाजवादी पार्टी के साथ था। इसके अलावा अतीक अहमद फूलपुर सीट से सांसद भी चुना गया। अतीक वर्ष 1989 में इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद राजनीति में पदार्पण किया। इसके बाद इलाहाबाद पश्चिम सीट लगातार दो बार (1991 और 1993) निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुना गया।
अपना दल से भी लड़ा था चुनाव
इसके बाद वर्ष 1996 में अतीक ने इसी सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1998 में सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद 1999 में अपना दल (एडी) में शामिल हुआ प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार अतीक को हार का सामना करना पड़ा।
राजू पाल की पत्नी ने दी थी चुनाव में कड़ी टक्कर
वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में अतीक ने फिर से इलाहाबाद पश्चिम सीट से अपना दल के टिकट पर जीत हासिल की। वर्ष 2003 में अतीक समाजवादी पार्टी के पाले में लौटा और 2004 में फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद बना। अतीक जनवरी 2005 में तब सुर्खियों में आया, जब बसपा विधायक राजू पाल की प्रयागराज में दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। रापू पाल की हत्या के बाद 2005 में यहां उपचुनाव हुआ। इस चुनाव में राजू पाल की विधवा पत्नी पूजा पाल ने बसपा की टिकट पर अतीक के भाई अशरफ के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीतीं।
पूजा पाल ने कई बार विधायकी में हराया
इसके बाद वर्ष 2007 के चुनावों में अशरफ ने फिर से सपा की टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन फिर बसपा उम्मीदवार पूजा पाल से हार गया। बता दें कि अशरफ राजू पाल हत्याकांड में आरोपी है। फिलहाल बरेली जेल में बंद है। पांच साल बाद वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में अतीक ने फिर से इसी सीट से अपना दल के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा उम्मीदवार पूजा पाल से 8,885 मतों के अंतर से हार गया।
वाराणसी से भी अतीक ने आजमाई थी किस्मत
रिपोर्ट में कहा गया है कि अतीक ने वर्ष 2014 में सपा के टिकट पर श्रावस्ती से भी लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गया। जेल में रहते हुए अतीक अहमद ने वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से भी नामांकन दाखिल किया, लेकिन यहां पर अतीक को सिर्फ 855 वोट मिले थे।