Rajasthan Rajya Sabha Election 2024: कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के केरल से लोकसभा सांसद निर्वाचित होने के बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में राजस्थान से खाली हुई इस सीट पर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है। 3 सितंबर को इस सीट पर चुनाव होना है। ऐसे में सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है कि क्या कांग्रेस इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी क्योंकि इस सीट पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है।
राजनीति के जानकारों की मानें तो बीजेपी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया या राजेंद्र राठौड़ को उम्मीदवार बना सकती है। लोकसभा चुनाव में जाटों की नाराजगी के कारण बीजेपी को तीनों लोकसभा सीटों पर हार मिली। ऐसे में नाराज जाटों को साधने के लिए पार्टी सतीश पूनिया पर दांव खेल सकती है क्योंकि विधानसभा उपचुनाव के बाद अगले साल प्रदेश में निकाय चुनाव होने हैं। जोकि एक प्रकार से भजनलाल सरकार का लिटमस टेस्ट होगा।
[caption id="" align="alignnone" ] पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी[/caption]
पूनिया-राठौड़ हार गए थे विधानसभा चुनाव
बता दें कि थोड़े दिनों पहले ही बीजेपी ने सतीश पूनिया को हरियाणा बीजेपी का प्रभारी बनाया था। इससे पहले सतीश पूनिया प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की खींचतान कम करने के लिए हाईकमान ने उनको पद से हटा दिया था। इसके बाद वे आमेर सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे। विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने जयपुर ग्रामीण से लोकसभा का टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने उनकी जगह राव राजेंद्र को प्रत्याशी बनाया था।
[caption id="" align="alignnone" ] वसुंधरा सरकार में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी[/caption]
राजेंद्र राठौड़ को प्रत्याशी बना सकती है पार्टी
सतीश पूनिया के अलावा राजेंद्र राठौड़ का नाम भी चर्चा में है। राठौड़ 2023 का विधानसभा चुनाव चूरू की तारानगर सीट से हार गए थे। इसके बाद उनके राजसमंद से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा थी लेकिन पार्टी ने वहां पूर्व राजपरिवार की सदस्या को प्रत्याशी बनाया। ऐसे में अब इस बार पार्टी उन्हें राज्यसभा सांसद बना सकती है। बता दें कि राठौड़ लगातार 7 बार विधायक चुने गए थे। लेकिन 8वीं बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही वे फिलहाल हाशिए पर चल रहे हैं।
चौंका सकता है बीजेपी हाईकमान
सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ के अलावा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा, अल्का गुर्जर, प्रभुलाल सैनी के नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि बीजेपी आलाकमान हमेशा से ही चौंकाता रहा है ऐसे में ये भी हो सकता है पार्टी किसी चर्चित चेहरे पर दांव नहीं खेलकर किसी कार्यकर्ता को भी उम्मीदवार बना सकती है।
[caption id="attachment_816455" align="alignnone" ] भाजपा नेता और राजनीतिक विश्लेषक जीएल यादव[/caption]
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किसी वैश्य चेहरे पर भी दांव खेल सकती है पार्टी
प्रदेश में संख्याबल के आधार पर बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है। इस सीट पर जीत के लिए 99 वोटों की आवश्यकता है। ऐसे में बीजेपी का पलड़ा भारी माना जा रहा है। बीजेपी के पास कुल 115 विधायक है। इसके अलावा पार्टी समर्थित कई निर्दलीय उम्मीदवार बीजेपी के पक्ष में ही वोट करेंगे। इस पूरे मामले को लेकर बीजेपी नेता और राजनीतिक विश्लेषक जीएल यादव का मानना है कि केंद्रीय नेतृत्व एक बड़ा मेसेज देने की तैयारी में है। पार्टी का निर्णय समाज एवर्ग विशेष से ऊपर उठकर होना खूबसूरत लोकतन्त्र को दर्शाता है। सतीश पुनिया और राजेंद्र राठौड़ जैसे चर्चित चेहरों के अलावा पार्टी किसी वैश्य चेहरे पर भी दांव खेल सकती है।
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