कुमार गौरव, राजस्थान: राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपने बागियों का डर सता रहा है, क्योंकि इस बार चुनाव में बीजेपी के दो दर्जन से अधिक दिग्गजों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन वापस लेने का वक्त भी आज खत्म हो गया है। ऐसे में कुछ बागियों को मनाने में बीजेपी सफल रही है लेकिन, अब भी बड़ी संख्या में बागी मैदान में हैं।
#WATCH जयपुर: बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा," कांग्रेस की सात गारंटी हैं- पेपर लीक की गारंटी, महिलाओं पर अत्याचार, दलितों पर अत्याचार, अपराधियों की दबंगई, दंगाइयों की रैली, भ्रष्टाचार की गारंटी और किताबों में मुगलों को महान लिखने की गारंटी है। राजस्थान में कानून व्यवस्था… pic.twitter.com/XIJiL05PMW
---विज्ञापन---— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 8, 2023
कई बागी नेता मैदान में
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के मुकाबले राजस्थान के कई सर्वे में बीजेपी सत्ता के ज्यादा करीब दिख रही है लेकिन, पार्टी के कई ऐसे बागी नेता हैं, जिनकी वजह से पार्टी के भीतर एक भय का माहौल भी बना हुआ है। क्योंकि, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कई ऐसे करीबी नेता हैं, जिनकी वजह से पार्टी को नुकसान की आशंका सता रही है। वसुंधरा राजे के करीबी रहे कई दिग्गज नेता बागी उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं।
वहीं, प्रदेश में हर पांच साल के बाद सरकार बदल जाती है, बीजेपी को इस रिवाज का भी भरोसा है और इस भरोसे पर आत्मविश्वास भी, लेकिन कई नेताओं के टिकट कटने से उनके बागी तेवर को देखते हुए भाजपा को डर भी सता रहा है। इस मोर्चे पर बीजेपी को कांग्रेस पार्टी से भी ज्यादा भय दिख रहा है।
बागी बिगाड़ सकते हैं खेल
इस बार बागी नेता के तौर पर जिन्होंने नामांकन भरा है, उनमें से प्रमुख नाम है। कोटा से भवानी सिंह राजावत, शाहपुरा से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, डीडवाना से पूर्व मंत्री यूनुस खान, झोटवाड़ा से पूर्व मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, ये चारों अपने-अपने क्षेत्र में प्रभुत्व वाले नेता के तौर पर जाने जाते हैं और इतना तय है कि ये हारे या जीतें लेकिन, बीजेपी के उम्मीदवार का रास्ता जरूर मुश्किल करेंगे। इनके अलावा बस्सी से जितेन्द्र मीणा, ये संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर के समर्थक माने जाते हैं और सवाई माधोपुर से निर्दलीय प्रत्याशी आशा मीणा भी वसुंधरा राजे की समर्थक मानी जाती हैं। इन्होंने बीजेपी सांसद किरोड़ी लाल मीणा के खिलाफ पर्चा भर दिया है वहीं, राजेंद्र राठौड़ गुट के कैलाश मेघवाल के अतिरिक्त राजेन्द्र भाम्बू और बामनवास से प्रदेश किसान मोर्चा के प्रदेश मंत्री रामावतार ने निर्दलीय के रूप में नामांकन किया है। इन्हें भी वसुंधरा समर्थक माना जाता है।
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नामांकन वापस लिया
वहीं, वसुंधरा गुट के कुछ और बड़े नेता जैसे चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान आक्या, खंडेला से बंसीधर बाजिया, सुमेरपुर पाली से मदन राठौड़ ने भी स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है, जो कि बीजेपी प्रत्याशियों के लिए मुसीबत का सबब बन सकते हैं। इसके अलावा डग से पूर्व विधायक रामचंद्र सुनारीवाल ने नामांकन दाखिल कर दिया है। कुल मिलाकर 15 से ज्यादा ऐसे नाम हैं, जो बीजेपी के उम्मीदवारों का मंसूबा बिगाड़ सकते हैं। इस बीच कई बागियों ने आज अपना नामांकन वापस ले लिया है।
एक बात तो साफ है कि तमाम बागी उम्मीदवारों का निशाना कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि, बीजेपी के उम्मीदवार हैं। दूसरी खास बात यह है कि बागी उम्मीदवारों में से ज्यादातर प्रत्याशी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थक ग्रुप के हैं। इसलिए बीजेपी को इस बात का खौफ है कि चुनाव पूर्व कई सर्वे में माहौल उनके पक्ष में दिखने के बावजूद ये बागी नेता कहीं उसका खेल न बिगाड़ दें।