Jaipur News: जयपुर में गुरुवार को विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह बारिश और बाढ़ से हुए नुकसान की गूंज सुनाई दी। कांग्रेस ने ट्रैक्टर मार्च निकालकर किसानों की समस्या को उठाया, वहीं सदन के भीतर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। इस दौरान सरकार के जवाब से मांगा और विपक्ष ने हंगामा शुरू किया तो सदन की कार्रवाई को स्थागित करना पड़ी। सदन में सरकार ने राहत और मुआवजे का भरोसा दिलाया है, लेकिन विपक्ष के तेवर साफ हैं कि वह किसानों की समस्या पर सदन से लेकर सड़क तक सरकार को घेरने के मूड में है।
विधानसभा में दिनभर चला हंगामा
राजस्थान में बारिश और बाढ़ से हुई तबाही को लेकर गुरुवार को विधानसभा में दिनभर चला हंगामा। कांग्रेस विधायक विधानसभा गेट तक ट्रैक्टर मार्च निकालकर पहुंचे। इसके अलावा सदन के अंदर भी विपक्ष ने प्रस्ताव लाकर किसानों की फसल की खराबी और मुआवजे का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने जवाब देना भी शुरू किया और बताया कि 193 लोगों के साथ 600 पशुओं की मौत समेत नुकसान का आंकड़ा पेश किया।
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मंत्री ने सदन में रखा नुकसान का पूरा ब्यौरा
कृषि और आपदा राहत मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने पहली बार सत्र में बोलते हुए नुकसान का पूरा ब्यौरा सदन में रखा। मंत्री ने बताया अतिवृष्टि से अब तक 193 लोगों की मौत हो चुकी है, 36 लोग घायल हुए हैं और किसानों के पशुओं का नुकसान भी भारी है। बाढ़ के कारण छोटे-बड़े मिलाकर 600 से ज्यादा पशु मारे गए। वहीं, 1954 पक्के मकान और सैकड़ों कच्चे मकान ढह गए। उन्होने यह भी बताया गया कि इस बार 22 जिलों में असामान्य बारिश और 16 जिलों में भारी बारिश के साथ तीन अन्य जिलों में सामान्य बारिश हुई है। इस दौरान उन्होने कहा कि ” राज्य में सामान्य से 62.5 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। बाढ़ से प्रभावित हर किसान और परिवार को राहत और मुआवजा दिया जाएगा। उन्होने कहा कि ” पीड़ितों को 104 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।
मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा विपक्ष
विधानसभा में विपक्ष मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा। स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सरकार पर सीधा हमला बोला। इस दौरान उन्होने कहा कि “डेढ़-दो महीने से किसानों के खेतों में पानी भरा है। 15 दिन से किसानों की बिजली कटी हुई है। गोदाम में रखा गेहूं सड़ रहा है। सरकार को किसानों की सुध लेनी चाहिए। मैं जोर से बोल रहा हूं ताकि इस बहरी सरकार के कान खुल जाएं।” विपक्ष के हंगामे और सरकार के जवाब के बीच विधानसभा की कार्यवाही कई बार बाधित हुई और बाद में आखिरकार स्थगित करनी पड़ी।
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