---विज्ञापन---

राजस्थान

15 गांवों की महिलाएं नहीं इस्तेमाल कर सकेंगी स्मार्टफोन, पंचायत ने सुनाया तुगलकी फरमान; क्या है वजह?

राजस्थान की एक गांव की पंचायत में महिलाओं के स्मार्टफोन उपयोग पर रोग का तुगलकी फरमान सुनाया है. अल्टीमेटम जारी किया गया है कि 26 जनवरी के बाद किसी भी महिला या लड़की के हाथ में स्मार्टफोन नजर नहीं आना चाहिए. राजस्थान के जालोर से आई ये खबर सिर्फ एक पंचायत के फैसले की नहीं है, बल्कि सवाल सोच का है.

Author Written By: kj.srivatsan Updated: Dec 23, 2025 17:31

राजस्थान की एक गांव की पंचायत में महिलाओं के स्मार्टफोन उपयोग पर रोग का तुगलकी फरमान सुनाया है. अल्टीमेटम जारी किया गया है कि 26 जनवरी के बाद किसी भी महिला या लड़की के हाथ में स्मार्टफोन नजर नहीं आना चाहिए. राजस्थान के जालोर से आई ये खबर सिर्फ एक पंचायत के फैसले की नहीं है, बल्कि सवाल सोच का है. सवाल महिलाओं की आजादी का है. सवाल 21वीं सदी में 26 जनवरी के दिन लगाए जा रहे उस फरमान का है, जिसने पूरे इलाके में बहस छेड़ दी है.

जालोर में चौधरी समाज की पंचायत और पंचायत का ऐसा आदेश, जिसने महिलाओं और बच्चियों के हाथ से स्मार्टफोन छीनने का एलान कर दिया. राजस्थान के जालोर जिले में 15 गांवों की महिलाओं और लड़कियों पर 26 जनवरी से स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर रोक लगाई जा रही है. पंचायत के इस फरमान के मुताबिक महिलाएं कैमरे वाला मोबाइल फोन नहीं रख सकेंगी. सिर्फ साधारण की-पैड फोन की इजाजत दी गई है.

---विज्ञापन---

पंचायत ने लगाया मोबाइल फोन पर बैन

इतना ही नहीं, पंचायत ने यह भी तय कर दिया कि महिलाएं सार्वजनिक समारोहों या पड़ोसियों के घर मोबाइल फोन लेकर नहीं जाएंगी. यानी फोन सिर्फ घर तक सीमित रहेगा, वो भी बिना कैमरे का. इस तुगलकी फरमान के पीछे तर्क है कि महिलाओं के मोबाइल इस्तेमाल से बच्चे भी फोन चलाने लगते हैं, जिससे उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए बीजेपी के लिए भी इस पर जवाब देना जरूरी हो गया. बीजेपी नेता इसे महिलाओं के प्रति गलत सोच का नतीजा तो बता रहे हैं लेकिन संभल कर बयान देते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. उनका कहना है कि समाज अपने लोगों की सुरक्षा और कुरूतियों को दूर करने के लिए इस तरह का फरमान जारी करते हैं लेकिन यदि कानून के खिलाफ यह होगा तो सरकार कार्रवाई भी करेगी.

---विज्ञापन---

यदि भाजपा नेताओं के तार को मानते हुए फरमान के पीछे बच्चों की आंखों की सुरक्षा की मंशा को मान भी लिया जाए तो बड़ा सवाल यही है कि बच्चों की सेहत की जिम्मेदारी के लिए बंदिशें केवल महिलाओं पर ही क्यों?

बहरहाल, समाज की पंचायत के इस फैसले के बाद विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं. कुछ लोग इसे महिलाओं की आजादी पर सीधा हमला बता रहे हैं, तो कुछ इसे सामाजिक नियंत्रण का नाम दे रहे हैं. वहीं, प्रशासन चौधरी समाज के इस आंतरिक फैसले पर अब समाज के लोगों की समझाइश में जुटा है. फिलहाल तो सबकी नजरें इस बात को लेकर हैं कि 26 जनवरी को जब देश संविधान और समान अधिकारों का जश्न मनाएगा, तो क्या उसी दिन जालोर के इन गांवों में महिलाओं के लिए मोबाइल पर पाबंदी लागू होगी.

First published on: Dec 23, 2025 05:31 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.