जयपुर से केजे श्रीवत्सन् की रिपोर्टः राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने इस साल के बजट में 19 नए जिले और 3 नए संभाग बनाने का एलान करके मास्टर स्ट्रोक खेला है इनमें से 14 जिले के गठन का काम लगभग पूरा हो चूका है और जल्द ही इनकी घोषणा होने वाली है। लेकिन कई जिलों को लेकर अब भी पेंच फंसा हुआ है। यही नहीं जयपुर को दो भागों में बांटने को लेकर भी गफलत की स्थिति बनी हुई है। जिसके बाद खुद सीएम गहलोत को इस पर सफाई देनी पड़ी।
दूद को लेकर सामने आ चुका विवाद
जब सीएम अशोक गहलोत ने विधानसभा ने एक साथ 19 नए जिले और 3 संभाग बनाने की घोषणा की तो सभी हैरान थे। सवाल इस बात का था कि एक साथ 19 जिले बनाने का क्या मतलब है और यह कैसे संभव होगा। लेकिन सीएम ने ना केवल अपने मास्टर स्ट्रोक के साथ नए जिलों के लिए 2 हज़ार करोड़ रूपये जारी करने का एलान किया बल्कि इस संदेह को दूर करने की कोशिश की।
हालांकि इन जिलों के अस्तित्व में आने की कोई डेडलाईन नहीं थी लेकिन एलान के 5 महीनों में अब 14 जिले अस्तित्व में आ जायेंगे। हालांकि यह काम कोई आसान नहीं था क्योंकि दूदू को जिला बनाने को लेकर लोगों ने हाईवे जाम करके विरोध जताया था। उसके बाद सीएम अशोक गहलोत को भी इस पर सफाई देने के लिए आगे आना पड़ा।
अब 50 हो जाएगी जिलों की संख्या
गहलोत ने अपने बजट भाषण में एक साथ 19 नए जिले बनाकर पूरे देश को हैरान कर दिया है। 19 नए जिले बनाने के अलावा तीन नए संभाग भी बनाने की बात कही गई है। इसी के साथ राजस्थान में 33 की जगह अब जिलों की संख्या बढ़कर 50 हो जाएगी। तर्क दिया गया की राजस्थान तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती आबादी और जिला मुख्यालय से दूरी के चलते प्रदेश में नए जिले जरूरी हैं। जिला पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर से संपर्क करने के लिए लगभग 60 से 80 किलोमीटर की दूरी तय करते थे अब वह केवल 30 से 40 किलोमीटर में ही अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।
वे जिला मुख्यालय तक आने-जाने का खर्च बचा सकते हैं। छोटा जिला होने से अपराधों पर अंकुश लगेगा। आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाने वाला क्षेत्र पुलिस द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन बीजेपी का कहना है की केकड़ीए दूदू जैसे कई जिलों के गठन में आधे अधूरे होमवर्क ने लोगों को खुश करने की बजाय उलझा कर रख दिया है।
ये नए जिले बनाए जाएंगे
अब ज़रा नए अस्तित्व में आने वाले जिलों के बारे में जान जाईये। श्रीगंगानगर से अलग करके अनूपगढ़, बाड़मेर से अलग करके बालोतरा, अजमेर से अलग करके ब्यावर और केकड़ी, भरतपुर से अलग करके डीग, नागौर से अलग करके डीडवाना, जयपुर से अलग करके दूदू, शाहपुरा, कोटपुतली, करौली से अलग करके गंगापुरसिटी, जयपुर से अलग करके जयपुर उत्तर, जयपुर दक्षिण, जोधपुर को दो भागों में बाटकर जोधपुर पूर्व और जोधपुर पश्चिम, अलवर से अलग करके खैरथल,नीमकाथाना, जोधपुर से अलग करके फलौदी, सलूम्बर और सांचौर को जिला बनाने का एलान किया गया है।
जबकि बांसवाड़ा, पाली और सीकर को संभाग बना दिया गया है। यानी इन तीनों में अब कई जिलों का समूह भी होगा। ऐसे में गहलोत सरकार के मंत्री भी अब कह रहे हैं की जयपुर सहित सभी नए जिलों की सीमा निर्धारण में जनभावनाओं का भी पूरा धयान रखा जाएगा।
नए जिले बनने से लोग खुश
भले ही इस मास्टर स्ट्रोक को अशोक गहलोत सरकार का चुनावी वादा कहा जा सकता है। लेकिन जहां तक नए जिले बन रहे हैं इससे उन जिलों के 80 फीसदी लोग इस सौगात से काफी खुश है। फिलहाल तो सबकी निगाहें इस बात को लेकर है कि कितने जल्दी नए जिले अस्तित्व में आते हैं और जो कुछ विरोध सामने आ रहा है उसे गहलोत सरकार किस तरह दूर करेगी।