Punjab News: अमित पांडेय (चंडीगढ़): मौसम विभाग की ओर से आगामी दिनों में तापमान बढ़ने की आशंका है। मौसम विभाग की इस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने राज्य के लोगों को गर्मी से बचाने के लिए एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. बलबीर सिंह की विशेष हिदायतों पर जारी की गई है।
पंजाब सरकार के मुताबिक, मैदानी क्षेत्र का तापमान 40 डिग्री या इससे अधिक, तटवर्ती क्षेत्रों को 37 डिग्री या इससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों का 30 डिग्री या इससे अधिक तक पहुंचता है कि इस स्थिति को ‘‘लू’’ कहा जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा गया है कि यह तापमान शरीर के तापमान नियंत्रण प्रणाली को बिगाड़ता है और गर्मी से जुड़ी दिक्कतों का कारण बनता है।
मौसम की खबरों पर ध्यान देने की अपील
लोगों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी का पालना करने की अपील करते हुए डा. बलबीर सिंह ने कहा है कि मई और जून के महीनों में लू चलने की संभावना जयादा है। इस समय आम लोगों के साथ-साथ खास कर उन लोगों, जो जोखिम श्रेणी में आते हैं, को चौकस रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि टीवी, रेडियो और अखबारों आदि की ओर से स्थानीय मौसम की खबरों पर ध्यान दें। लोग पूर्व अनुमान के अनुसार अपनी रोजाना की गतिविधियों की योजना बनाएं।
डायरेक्टर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. आदर्शपाल कौर ने बताया कि राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों को इस संबंधी विस्तृत हिदायतें जारी करने के साथ-साथ हीट स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों की देखभाल के लिए अस्पतालों में मुकम्मल प्रबंध करने के निर्देश दिए गए हैं।
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करना और क्या नहीं करना?
- नवजात और छोटे बच्चे (अधिक जोखिम)
- गर्भवती महिलाएं
- 65 साल या अधिक उम्र के बुज़ुर्ग
- मजदूर
- मोटापे से पीड़ित व्यक्ति
- मानसिक रोगी
- जो शारीरिक तौर पर बीमार हैं, खास कर जिनको दिल की बीमारी या हाई ब्लड प्रेशर है
क्या करना चाहिए?
- घर से बाहर के काम दिन के ठंडे समय जैसे कि सुबह और शाम में किये जाने चाहिए।
- प्यास न लगने पर भी हर आधे घंटे बाद पानी पीओ। मिर्गी या दिल की बीमारी, गुर्दे या जिगर की बीमारी वाले लोग जो तरल-प्रतिबंधित ख़ुराक पर हैं, उनको पानी की मात्रा बढ़ाने से पहले डाक्टर के साथ सलाह करनी चाहिए।
- बाहर काम करते समय हलके रंग के पूरी बाज़ू वाले कपड़े डालो। कोशिश करें कि गर्मियों में सिर्फ़ सूती कपड़े ही पहने जाएँ।
- सीधी धूप से अपने सिर को ढकने के लिए छाता, टोपी, तौलिया, पगड़ी या दुपट्टे का प्रयोग करें।
- नंगे पांव बाहर न निकलो, धूप में बाहर जाने के समय पर हमेशा जूते या चप्पलें डाले।
- धूप में काम करने वाले लोगों को शरीर का तापमान सही बरकरार रखने के लिए छाया में आराम करना चाहिए या सिर पर गीला कपड़ा रखना चाहिए।
- धूप में निकलते समय हमेशा पानी साथ रखो।
- मौसमी फल और सब्जियाँ जैसे कि तरबूज़, संतरा, अंगूर, खीरे और टमाटर खाओ क्योंकि इनमें पानी की मात्रा ज़्यादा होती है।
- उन लोगों को पानी की पेशकश करो जो आपके घर या दफ़्तर में समान या भोजन की डिलीवरी के लिए आते हैं।
- नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी जैसे घरेलू पीने वाले पदार्थों का प्रयोग और सेवन बढ़ाओ।
- अपनी चमड़ी की सुरक्षा के लिए सनसक्रीन और आँखों की सुरक्षा के लिए काले चश्मे डालें।
- कम भोजन खाओ और ज़्यादा बार खाओ।
- ठंडे पानी के साथ बार-बार नहाओ।
- छतों पर भूसा डाल कर या सब्जियाँ उगा कर तापमान कम रखा जा सकता है।
- यदि कसरत कर रहे हो, तो धीरे-धीरे शुरू करो और अंत में शरीर के बढ़ते तापमान के अनुकूल होने तक इसको कुछ दिनों में बढ़ाओ।
- प्याज का सलाद और कच्चे आम को नमक और जीरे के साथ खाने जैसे रिवायती उपचार हीट स्ट्रोक से बचा सकते हैं।
क्या नहीं करना चाहिए?
- धूप में ख़ास तौर पर दोपहर 12 से 3 बजे तक बाहर जाने से परहेज़ करो।
- अधिक गर्मी वाले घंटों के दौरान खाना बनाने से गुरेज़ किया जाये, रसोई को अच्छी तरह हवादार रखने के लिए दरवाज़े और खिड़कियाँ खुली रखो।
- अल्कोहल, चाय, कोफी, और कारबोनेटिड और फ़ाल्तू मीठे पीने वाले पदार्थों से परहेज़ करो क्योंकि यह वास्तव में शरीर फलूडज़ को ख़त्म करते हैं।
- तले हुए भोजन से परहेज करो, बासी भोजन न खाओ।
- बच्चों या पालतू जानवरों को तालाबन्द वाहन में न छोड़े।
लक्षण जिनके लिए तुरंत डाक्टरी ध्यान की जरूरत होती है
- आराम न करने से मानसिक संतुलन में बदलाव, बेचैनी, बोलने में दिक्कत, चिड़चिड़ापन, अटैकसिया ( बोलने में दिक्कत), हकला कर बोलना, दौरे आदि के साथ
- गर्म, लाल और खुश्क चमड़ी
- जब शरीर का तापमान 40 डिग्री या इससे बढ़ जाता है
- गंभीर सिर दर्द
- चिंता, चक्कर आने, बेहोशी और हलका सिर दर्द
- मासपेशियों की कमज़ोरी या खिचाव एक घंटे से अधिक समय तक रहता है
- उल्टियां (मन मचलना)
- दिल की धड़कने तेज होना
- साँस लेने में तकलीफ़ होना