Punjab Lok sabha Election Result: एग्जिट पोल्स में जहां एनडीए को 350-400 सीटें मिलने तक का अनुमान लगाया गया था। वह चुनाव परिणाम के बाद हवाहवाई साबित हो रहा है। पंजाब की बात करें, तो यहां बीजेपी का सूपड़ा साफ होता दिख रहा है। पंजाब में न तो मोदी का जादू चला, न ही दूसरे दलों से आए दिग्गज साख बचा पाए। इंडिया ब्लॉक के सहयोगी दल कांग्रेस और आप जहां दूसरे राज्यों में मिलकर लड़ रहे हैं। वहीं, पंजाब में दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व साझेदार भाजपा और शिरोमणि अकाली दल भी अलग-अलग लड़ रहे हैं। दोनों की राह 2020 में जुदा हो गई थी।
शुरुआती रुझानों में आप पीछे व कांग्रेस आगे दिखी थी। जालंधर से पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी एक लाख 75 हजार से अधिक वोटों से जीते हैं। कई सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। भाजपा दूसरे और तीसरे स्थानों पर है। चंडीगढ़ से कांग्रेस के मनीष तिवारी, अमृतसर से गुरकीरत सिंह औजला तीसरी बार जीत गए हैं। फतेहगढ़ साहिब, गुरदासपुर, पटियाला समेत कई सीटों पर कांग्रेस जीती है। फिरोजपुर से बीजेपी को आस थी, लेकिन यहां से भी हार का सामना करना पड़ा है।
पिछली बार 8 सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार अपना प्रदर्शन बेहतर कर सकती है। हालांकि स्पष्ट नतीजे आने के बाद ही पूरी तस्वीर साफ होगी। अभी कांग्रेस की झोली में एक सीट आई है। 25 साल में पहली बार भाजपा और शिरोमणि अकाली दल बिना गठबंधन अलग-अलग लड़ रहे हैं। होशियापरपुर से लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी ने अनीता सोम प्रकाश को टिकट दिया था। जो अपने पति और मौजूदा मौजूदा सांसद सोम प्रकाश की जगह चुनाव लड़ रही हैं।
किसान आंदोलन का दिखा असर
सोमप्रकाश स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण चुनाव लड़ने से इनकार कर गए थे। वहीं, बठिंडा, खडूर साहिब और लुधियाना में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। किसान आंदोलन का असर परिणामों में दिख रहा है। किसान लंबे समय तक दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर चुके हैं। बीजेपी उम्मीदवारों का भी प्रचार के दौरान गांवों में विरोध किया गया था। पंजाब में 1 जून को 7वें चरण में वोटिंग हुई थी। किसान अपनी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी केंद्र सरकार से मांग रहे थे। जिसका खामियाजा भाजपा को कहीं न कहीं भुगतना पड़ा। चुनाव से पहले दूसरे दलों के कई नेताओं ने भाजपा ज्वाइन की थी। लेकिन भाजपा को इसका थोड़ा सा फायदा भी नहीं मिला।