अक्सर सोशल मीडिया पर ‘यीशु-यीशु’ से चर्चित रहने वाले स्वयंभू पादरी बजिंदर सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई है। मोहाली कोर्ट ने 42 साल के बजिंदर को जीरकपुर टाउन में रजिस्टर्ड 2018 के रेप मामले में ये सजा सुनाई। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज विक्रांत गुप्ता ने उन्हें ये सजा सुनाई। बजिंदर मोहाली में चर्च चलाता है। उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पटियाला जेल से लाकर जज के सामने पेश किया गया। जहां जज ने उन्हें सजा सुनाई। आइए अब आपको बताते हैं कि बजिंदर को मिली आजीवन कारावास की सजा क्या है? क्या अब वह जेल से किसी भी सूरत में बाहर आ सकता है? या क्या उसे पैरोल भी मिल सकती है? ऐसे ही सवालों का जवाब जानने की कोशिश करते हैं।
क्या है बजिंदर को मिली आजीवन कारावास की सजा?
बजिंदर को मिली आजीवन कारावास की सजा का मतलब है कि वह अपनी मृत्यु तक जेल में ही रहेगा। इस दौरान उसे पैरोल मिलना या किसी भी तरह की रिहाई मुश्किल होगी। बजिंदर को अपनी मौत तक जेल में ही सजा काटनी होगी। आपको बता दें कि मोहाली कोर्ट ने 3 मार्च को गैर जमानती वारंट जारी किया था। कपूरथला पुलिस ने उस पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया था। कपूरथला शहर पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 354-A के तहत यौन उत्पीड़न, 354-D (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
In 2018, Pastor Bajinder Singh was arrested for raping a woman from Zirakpur in Punjab. Later, he was granted bail.
Victim claimed that he sexually assaulted her under the pretext of offering her travel abroad. He also recorded an obscene video of her and then blackmailed her.… pic.twitter.com/JliFqg29PI
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, जीरकपुर की एक महिला की ओर से ये शिकायत दर्ज कराई गई थी कि बजिंदर ने विदेश यात्रा में मदद करने का झांसा देकर उसके साथ रेप किया। आरोप है कि बजिंदर ने उसका एक अश्लील वीडियो भी रिकॉर्ड किया। बजिंदर ने उसका वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उसे ब्लैकमेल भी किया। बजिंदर इस मामले में जमानत पर बाहर चल रहा था। मोहाली कोर्ट ने बजिंदर के खिलाफ 3 मार्च को एक गैर जमानती वारंट जारी किया था।
अन्य आरोपी किए गए बरी
गौरतलब है कि बजिंदर को 28 मार्च को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 376 (रेप) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी ठहराया गया था। बाद में उसे पटियाला जेल भेज दिया गया। मामले के पांच अन्य आरोपी भी बनाए गए। जिसमें पादरी जतिंदर के अलावा संदीप पहलवान, सत्तार अली और अकबर शामिल थे। उन्हें पिछले शुक्रवार को बरी कर दिया गया।
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कई लड़कियों की जीत- पीड़िता
बता दें कि बजिंदर पर 28 फरवरी को एक 22 साल की महिला ने भी कई धाराओं में केस दर्ज कराया था। महिला की शिकायत के आधार पर कपूरथला में यौन उत्पीड़न और पीछा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। कपूरथला शहर पुलिस स्टेशन में धारा 354-ए (यौन उत्पीड़न), 354-डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। सजा मिलने के बाद पीड़िता ने कहा कि आज कई लड़कियों की जीत हुई है। पीड़िता ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई। पीड़िता ने कहा- बजिंदर एक मनोरोगी है। उसके जेल से बाहर आने के बाद भी यही अपराध करने की संभावना है, इसलिए मैं चाहती हूं कि वह जेल में ही रहे।
कैसी मिलती है पैरोल?
पैरोल के तहत अपराधी कुछ दिनों के लिए जेल से बाहर आ सकता है। हालांकि इसकी कुछ शर्तें हैं। जिसमें अच्छा व्यवहार शामिल है। पैरोल के लिए जेल अथॉरिटी से आवेदन करना होता है। इसे जेल अथॉरिटी राज्य के गृह विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी, जेल के आईजी और जिला मजिस्ट्रेट के पास आवेदन भेजते हैं। फिर पैरोल बोर्ड बैठता है, जिसके बाद राज्य सरकार की अनुमति से पैराल दी जाती है। दूसरी ओर फरलो की बात की जाए तो यह किसी विशेष परिस्थिति में कैदी की रिहाई से संबंधित है। जैसे किसी परिजन की मृत्यु आदि के वक्त कुछ समय के लिए रिहाई की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि गंभीर अपराधों और आजीवन कारावास की स्थिति में पैरोल मिलना बेहद मुश्किल है। बताते चलें कि हाल ही में रेप केस में दोषी आसाराम को 12 साल बाद पैरोल मिली थी। आसाराम की पैरोल स्वास्थ्य समस्याओं के चलते मंजूर की गई थी।
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