फिरोजपुर: पंजाब पुलिस की एक कार्रवाई के बाद बड़ा ही चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके बाद प्रदेश के सीमांत जिला मुख्यालय फिरोजपुर की बस्ती टैंकां वाली तमाम सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आ गई है। असल में इस बस्ती में एक ऐसा आदमी रहता है, जो न सिर्फ पंजाब की राजनीति में पैठ रखता है, बल्कि इस पहुंच का फायदा उठाकर पड़ोसी मुल्क की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) से हाथ मिला बैठा। पूर्व विधायक के ड्राइवर का भाई यह तस्कर हर महीने ड्रोन के जरिये 5 से 8 किलो हेरोइन सरहद पार से मंगवा लेता है। ऐसे हुआ चौंकाने वाला खुलासा…
बता दें कि बीती 12 अगस्त को पंजाब पुलिस ने प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में छापे मारकर ऑस्ट्रेलिया में बैठकर चलाए जा रहे ड्रग्स रैकेट के छह लोगों गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान बुड़ैल के 28 वर्षीय शुभम जैन, फिरोजपुर सिटी के 24 वर्षीय पुनीत कुमार, फिरोजपुर के कुलगढ़ी निवासी पवन प्रीत सिंह (24), बस्ती टैंकां वाली के 23 वर्षीय चंदन, 31 वर्षीय रविंदर पाल और मोगा के गांव शेरपुर टिप्पा के रहने वाले 31 साल के जगजीत सिंह के रूप में हुई।
पुलिस के मुताबिक 4 किलो हैरोइन और 78 लाख ड्रग मनी के साथ पकड़े गए नशे के इन सौदागरों में चंदन मेलबर्न में बैठे सिमरन के निर्देश पर गिरोह को ऑपरेट कर रहा था, जो एक पूर्व विधायक के ड्राइवर का चचेरा भाई है। वह पुनीत, पवन प्रीत को निर्देश देता था, वहीं रविंदर पाल ड्रग्स सप्लायर है। चंडीगढ़ पुलिस की मानें तो फिरोजपुर की बस्ती टैंकां वाली का रहने वाला सिमरनजीत सिंह काम के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया गया था, मगर वहां जाकर पैसा कमाने के शॉर्टकट के चलते वह हमारे देश की दुश्मन पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी ISI के साथ हाथ मिला बैठा। फिरोजपुर बॉर्डर से नशे की सप्लाई और इसे पंजाब में सप्लाई का पूरा नेटवर्क खड़ा कर लिया। इस नेटवर्क में फिरोजपुर सेंट्रल जेल में नशा तस्करी के मामले में सजा काट रहा जगप्रीत जग्गी भी शामिल था।
बताया जा रहा है कि जेल में आने वाले युवाओं का ब्रेन वॉश करके उन्हें नेटवर्क का हिस्सा बना लिया जाता। दूसरी तरफ पाकिस्तानी तस्कर ऑस्ट्रेलिया में बैठे सिमरनजीत को बता देते थे कि पाकिस्तानी ड्रोन से कब और कितनी हेरोइन किस जगह गिराई जाएगी। सिमरनजीत अपने नेटवर्क से फिरोजपुर सेंट्रल जेल में जगप्रीत जग्गी को जानकारी देता था तो इसके बाद नेटवर्क में शामिल बस्ती के युवाओं को इस खेप को लाने की जिम्मेदारी दे दी जाती। इनका कोड वर्ड होता था, ‘मिशन पर जा रहे हैं’। बहरहाल, चंडीगढ़ पुलिस यह केस एनसीबी, एनआईए और पंजाब पुलिस को सौंप दिया है।