चंडीगढ़: पंजाब के पशु पालन, मछली पालन और डेयरी विकास मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने आज बताया कि जिला मानसा के गांव तलवंडी अकलिया से भेजे गए सूअरों के सैंपलों में अफ्रीकन स्वाईन फीवर पाया गया है।
उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान कौंसिल (आई. सी. ए. आर) -राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्था, भोपाल द्वारा इसकी पुष्टि के उपरांत पशु पालन विभाग ने ज़िले में बीमारी की रोकथाम के लिए पाबंदियां सख़्ती से लागू कर दीं हैं।
बीमारी के केंद्र से एक किलोमीटर तक का क्षेत्र ‘‘संक्रमण ज़ोन’’ और 1 से 10 किलोमीटर (9 किलोमीटर) तक का क्षेत्र ‘‘निगरानी ज़ोन’’ ऐलान दिया गया है। विभाग के मुलाज़िमों को हिदायत की गई है कि वह जिन्दा/मृत सूअर (जंगली सूअरों सहित), नॉन- प्रोसैसड सूअर का मीट, सूअर पालन फार्म या बैकयार्ड सूअर पालन से कोई भी फीड या सामग्री/सामान इनफ़ैकटिड ज़ोन से बाहर ले जाने और ज़ोन में लाने से रोकना यकीनी बनाया जाए और सूचीबद्ध बीमारी से संक्रमित सूअर या सूअर उत्पाद को मार्केट में लाने से रोका जाए।
राज्य में बीमारी की रोकथाम के लिए सूअरों की कलिंग सम्बन्धी जानकारी देते हुये कैबिनेट मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने बताया कि अफ्रीकन स्वाईन फीवर से प्रभावित राज्य के चार ज़िलों पटियाला, फ़तेहगढ़ साहिब, एस.बी.एस. नगर और फ़ाज़िल्का में 735 सूअरों की कलिंग की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि पटियाला में 471, फ़तेहगढ़ साहिब में 68, एस.बी.एस. नगर में 176 और फ़ाज़िल्का में 20 सूअरों की कलिंग की गई है।
पशु पालन मंत्री ने कहा कि सूअरों की कलिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा मुआवज़ा नीति ऐलानी गई है और विभाग द्वारा नोटीफ़ायी किये गए बीमारी के केंद्र से एक किलोमीटर के दायरे के ‘‘संक्रमण ज़ोन’’ में विभाग द्वारा मारे गए सूअरों के लिए ही मुआवज़ा दिया जायेगा।
उन्होंने बताया कि 15 किलो तक वज़न वाले सूअर की कलिंग के लिए 2200 रुपए, 15 किलो से 40 किलो तक वज़न वाले सूअर के लिए 5800 रुपए, 40 किलो से 70 किलो तक वज़न वाले सूअर के लिए 8400 रुपए, 70 किलो से 100 किलो तक वज़न वाले सूअर के लिए 12000 रुपए और 100 किलो से अधिक वज़न वाले सूअर के लिए 15000 रुपए मुआवज़ा दिया जायेगा जबकि ‘‘संक्रमण ज़ोन’’ के अंदर नष्ट की गई सूअरों की ख़ुराक के लिए 22 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मुआवज़ा राशि मिलेगी।
कैबिनेट मंत्री ने सूअर पालकों से अपील की कि वह सूअरों की कलिंग के लिए विभाग को सहयोग दें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीति के मुताबिक सिर्फ़ विभाग द्वारा की गई कलिंग के लिए ही मुआवज़ा दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के मुताबिक बीमारी के केंद्र से एक किलोमीटर के दायरे में सूअरों की कलिंग ज़रूरी है, नहीं तो यह बीमारी भयानक रूप धारण कर सकती है।
पशु पालन मंत्री ने कहा कि इस बीमारी की मौत दर 100 प्रतिशत तक हो सकती है और एक बार सूअर के प्रभावित होने पर कुछ दिनों में ही उसकी मौत हो जाती है। इसलिए ज़रूरी है कि सूअरों की कलिंग विभाग द्वारा करवायी जाये क्योंकि यदि प्रभावित सूअर स्वयं मरता है तो उसके लिए कोई मुआवज़ा नीति नहीं है।