Mumbai iconic taxi Kaali Peeli :देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की शान कही जाने वाली ‘प्रीमियर पद्मिनी’ जिसे ‘काली पीली’ टैक्सी के रूप में जाना जाता है, वह 30 अक्टूबर से शहर में नहीं चलेगी। ये काली-पीली टैक्सियां अब मुंबई की सड़कों से गायब होने जा रही हैं। बता दें कि जब भी लोग मायानगरी के बारे में सोचते हैं तो उनके दिमाग में 6 दशक पुरानी शहर की ‘प्रीमियर पद्मिनी’ टैक्सी की तस्वीर उभरती है। काली-पीली के अचानक बंद होने से मुंबई के निवासी उदासीन हो गए हैं, कुछ लोगों ने सड़क पर या संग्रहालय में कम से कम एक प्रीमियर पद्मिनी के चलाए जाने की मांग की है।
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हिंदी फिल्मों से जुड़ीं यादें
प्रीमियर पद्मिनी कैब न केवल यात्रा का एक साधन थी, बल्कि मुंबई की सांस्कृतिक विरासत का एक हिस्सा थी। उन्होंने ‘टैक्सी नंबर 9211,’ ‘खाली-पीली’ और ‘आ अब लौट चलें’ जैसी कई हिंदी फिल्मों में अभिनय किया। शहर के इतिहासकार और खाकी हेरिटेज फाउंडेशन के संस्थापक, भरत गोथोस्कर ने पीटीआई को बताया कि मुंबई की टैक्सियों की पीले और काले रंग की योजना विट्ठल बालकृष्ण गांधी से आई थी, जिन्हें ‘अमेरिकी गांधी’ के नाम से जाना जाता है।
जवाहर लाल नेहरू ने दिया था सुझाव
स्वतंत्रता सेनानी से सांसद बने गांधी ने पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू को सुझाव दिया कि दूर से दृश्यता के लिए कैब के ऊपरी हिस्से को पीले रंग से रंगा जाना चाहिए, जबकि दाग को छिपाने के लिए निचले हिस्से को काला किया जाना चाहिए। यह अनोखा संयोजन तब से शहर का एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया। बहरहाल, प्रिय ‘काली पीली’ मुंबई की सड़कों से विदाई लेने के लिए तैयार हैं।