महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में होली से एक दिन पहले एक युवा किसान ने आत्महत्या कर ली। उसने जहरीली दवा पीकर अपनी जान दे दी। शव के पास से 4 पन्नों का सुसाइड नोट मिला, जिसमें किसान ने आत्महत्या की वजह बताई है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। आइए जानते हैं कि किसान ने क्यों दी अपनी जान?
यह घटना बुलढाणा जिले की देउलगांव राजा तहसील स्थित शिवनी आरमाल गांव की है, जहां किसान कैलाश नागरे ने जहर पीकर सुसाइड कर लिया। महाराष्ट्र सरकार ने कैलाश नागरे को साल 2020 का युवा किसान सम्मान पुरस्कार देने की घोषणा की थी और हाल ही में उसे राज्यपाल के हाथों से यह सम्मान मिला था। 4 पन्नों के सुसाइड नोट में युवा किसान ने सुसाइड की वजह बताई है।
यह भी पढ़ें : ‘औरंगजेब की कब्र को हटाएंगे, लेकिन समय नहीं बताएंगे…’, कोंकण में फिर गरजे मंत्री नितेश राणे
जानें युवा किसान की क्या थी मांग?
देउलगांव राजा तहसील के किसानों को खडकपूर्णा जलाशय से खेती के लिए पानी मिले, इसकी मांग युवा किसान कैलाश नागरे पिछले कई दिनों से सरकार से कर रहे थे। कैलाश नागरे ने सरकार का ध्यान इस मुद्दे पर खींचने के लिए दिसंबर में 9 दिन का अन्न त्याग आंदोलन किया था, लेकिन पानी की मांग पूरी नहीं हुई। सरकार और प्रशासन से लड़कर थक हार गए किसान कैलाश ने आत्महत्या का रास्ता चुना।
‘कैलाश की आत्महत्या के लिए सरकार को ठहराया जिम्मेदार’
कैलाश की आत्महत्या के बाद गांव और आसपास के इलाकों के किसान बड़ी संख्या में एकत्रित हुए और सरकार से कैलाश नागरे को शहीद का दर्जा देने की मांग की। किसानों ने कहा कि जब तक मंत्री या कोई बड़ा अधिकारी मौके पर आकर पानी की मांग को लेकर ठोस आश्वासन नहीं देता तब तक वो कैलाश का पार्थिव ले जाने नहीं देंगे। कैलाश की आत्महत्या को शिंदे की शिवसेना के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री संजय सिरसाट ने कहा कि युवा किसान कैलाश की आत्महत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। किसान नेता रविकांत तुपकर ने कहा कि कैलाश की आत्महत्या के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है और सरकार पर मामला दर्ज होना चाहिए।
यह भी पढ़ें : क्या है मल्हार सर्टिफिकेशन? महाराष्ट्र में हिंदुओं को मिला मटन बेचने का ‘नया अधिकार’, नितेश राणे का ऐलान