Maharashtra Government formed 5 members committee : महाराष्ट्र में क्या अब मराठा आरक्षण, कुछ इलाको में सूखा, किसान आत्महत्या और बेरोजगारी जैसे मुद्दे खत्म हो चुके हैं, यह सोचने पर आप और हम मजबूर तो नहीं है क्योंकि इन जरूरी मुद्दों पर काम करने के बजाय महाराष्ट्र सरकार और उनके सरकारी बाबुओ को अलग ही चिंता खाए जा रही है।
बता दें कि पिछले कुछ महीनों से मुंबई समेत महाराष्ट्र में बीयर पीने वालों ने अब बीयर से परहेज कर लिया है, जिससे स्टेट एक्साइस विभाग के राजस्व में घाटा दिखाई दे रहा है। महाराष्ट्र में बीयर की घटती ब्रिकी से सरकार चिंतित इस समस्या का हल निकालने के लिए, अब सरकार ने 5 सदस्यों की एक कमेटी बनायी है। यह कमेटी बीयर इंडस्ट्री को हो रही मुश्किलों पर प्रैक्टिस कर एक महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। बता दें कि एक सरकारी अध्यादेश (जी आर) निकालकर इस कमेटी की घोषणा की गयी है।
सरकारी जीआर में क्या कहा गया ?
सरकारी जीआर में कहा गया है कि बीयर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने के बाद बीयर की बिक्री में कमी आयी है, जिससे सरकार को मिलने वाला राजस्व कम होता जा रहा है। साथ ही विदेशी और कंट्री शराब में स्पिरिट का प्रमाण बीयर से ज्यादा होता है, स्पिरिट के प्रमाण पर अगर तुलना की जाय तो बीयर पर एक्साइज ड्यूटी शराब के प्रति ज्यादा है। इसी कारण ग्राहक बीयर के प्रति आकर्षित नहीं होता। इसके साथ ही जीआर में बताया गया कि दूसरे राज्यों में बीयर के ऊपर लगी एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद वहां का राजस्व बढ़ा है इसलिए बीयर इंडस्ट्री द्वारा सूबे के राजस्व में बढ़ोतरी के लिए एक प्रैक्टिस गुट बनाया जा रहा है।
कमेटी में इन सदस्यों के नाम
बीयर की बिक्री में इजाफा हो और साथ ही खाली हो रही सरकारी तिजोरी में धन लाभ हो इसलिए गठित 5 सदस्यों की कमेटी में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (स्टेट एक्साइज विभाग) गृह विभाग,कमिश्नर महाराष्ट्र स्टेट एक्साइज विभाग,डिप्टी सेक्रेटरी(स्टेट एक्साइज विभाग) गृह विभाग,ऑल इंडिया ब्रुवरिज असोसिएशन का एक सदस्य और एडिशनल कमिश्नर महाराष्ट्र स्टेट एक्साइज विभाग शामिल हैं।
स्टेट एक्साइज विभाग को साल 20-21 में 17228 करोड़ रुपये का राजस्व आया था, वहीं साल 21-22 में यह राजस्व बढ़कर 21550 करोड़ रुपये हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले 4322 करोड़ ज्यादा था। इस साल यानी 2023-24 में स्टेट एक्साइज विभाग ने 26000 करोड़ रुपये का टार्गेट रखा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि एक्साइज विभाग की तिजोरी में हर साल राजस्व बढ़ रहा है तो फिर सरकार बीयर पर एक्साइज ड्यूटी कम कर किसका भला करना चाहती है।