विपिन श्रीवास्तव, भोपाल: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में 23 नवंबर को एंट्री ले चुकी है। 24 नवंबर को वह खंडवा जिले के बड़ौदा अहीर पहुंचेंगे जो कि आदिवासी जननायक टंट्या भील मामा की जन्मस्थली है। इस दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा भी साथ रहेंगी। इसी जगह एक सभा भी होगी, जिसके मंच पर टंट्या मामा के वंशजों को भी बैठाया जाएगा। टंट्या मामा की जन्मस्थली पहुंचने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।
क्या हैं सियासी मायने
दरअसल, मध्यप्रदेश की सियासत आदिवासियों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। एमपी में 1.51 करोड़ से ज्यादा आदिवासी हैं यानि 21 फीसदी आदिवासी हैं। जो विधानसभा में कुल 230 सीटों में से 84 सीटों पर जीत हार तय करते हैं, इनमें से 47 आदिवासी सीटें रिजर्व हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 में से 30 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी। इससे पहले 2008 विधानसभा चुनाव में 47 में से बीजेपी ने 29 सीटें जीती थीं, 2013 में 31 सीटें लेकिन 2018 में महज 16 सीटें ही बीजेपी जीतकर आदिवासियों के बीच कमजोर साबित हुई थी।
आदिवासियों के बीच खुद को मजबूत कर रही BJP
यही वजह है कि बीजेपी ने बीते साल 15 नवंबर को भोपाल में PM नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में बड़ा कार्यक्रम कर जनजातीय गौरव दिवस मनाया गया था, तो हाल ही में 15 नवंबर को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू की मौजदूगी में शहडोल में जनजातीय गौरव दिवस मनाया है और आदिवासियों के हित में जल जंगल जमीन का अधिकार दिलाने “पेसा एक्ट” भी लागू किया गया।
ये है यात्रा के दौरान आदिवासी बहुल इलाकों का रूट
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जो रूट तय है। इसमें बुरहानपुर से लेकर आगर-मालवा तक जो मालवा-निमाड़ रीजन के 6 जिले हैं वो आदिवासी इलाके हैं। इतना ही नहीं 24 नवंबर को राहुल गांधी साथ में प्रियंका गांधी वाड्रा आदिवासी जननायक टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर पहुंच रहे हैं। मंच पर टंट्या मामा के वंशजों को बैठाकर सभा भी की जाएगी।
राहुल गांधी से पहले टंट्या मामा की जन्मस्थली पहुंचे CM शिवराज
जबकि राहुल गांधी के पहुंचने से एक दिन पहले 23 नवंबर को ही सीएम शिवराज ने टंट्या मामा की जन्मस्थली बड़ौदा अहीर पहुंचे और फिर से जनजातीय गौरव यात्रा की शुरुआत की है और आदिवासियों के लिए बनाए “पेसा एक्ट” की जागरूकता मुहिम चलाने की बात की।
कौन हैं टंट्या भील?
मालवा और निमाड़ अंचल के लोकनायक टंट्या भील जिन्हें टंट्या मामा कहा जाता है, 1878 और 1889 के बीच भारत में एक बड़े विद्रोही और क्रांतिकारी के रूप में जाने जाते थे। 1874 मं टंट्या भील ने ब्रिटिश शासन का खजाना लूटकर गरीबों में बांट दिया था। टंट्या भील का जन्म 1840 में हुआ था। उनका असली नाम तांतिया भील था। उनकी गतिविधियों को देखते हुए अंग्रेजों ने उन्हें ‘इंडियन रॉबिन हुड’ कहा था। टंट्या भील की वीरता और अदम्य साहस से प्रभावित होकर तात्या टोपे ने उन्हें गुरिल्ला युद्ध में पारंगत बनाया था। ब्रिटिश शासन काल में 4 दिसंबर 1889 को टंट्या भील को फांसी की सजा दी गई थी।