Gwalior News: ग्वालियर में लोगों को महज एक रुपए की सस्ती दर पर अमृत पान यानी कि RO फिल्टर ठंडा पानी पिलाने की योजना आज कबाड़ में तब्दील हो चुकी है। शहर के 44 सार्वजनिक जगहों पर लगाए गए वॉटर एटीएम अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। शहर का यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
44 जगहों पर लगाए गए थे एटीएम
ग्वालियर नगर निगम ने एक प्राइवेट कंपनी के साथ पीपीपी मॉडल पर वॉटर एटीएम लगवाए थे। शहर में लोगों को बहुत ही सस्ती दर पर ठंडा और फिल्टर पानी उपलब्ध कराने की सोच के साथ इस प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारा गया, लेकिन आज यह प्रोजेक्ट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। दरअसल, शहर के 44 जगहों पर वाटर एटीएम लगाने की योजना पर साल 2016 में काम शुरू हुआ था, लाखों रुपए के इन्वेस्टमेंट के बाद नगर निगम ने साल 2017 में फूलबाग, चिड़ियाघर, जयेन्द्रगंज, ओल्ड हाईकोर्ट सहित अन्य लोकेशन पर कुल 44 वाटर एटीएम लोगों को अमृत पान यानी कि ठंडा फिल्टर पानी देने के लिए तैयार कर दिए।
नहीं मिल रहा पानी
शहर के लोगों ने इस प्रोजेक्ट की उस वक्त सराहना भी की थी, यह प्रोजेक्ट लाभ के दौर से भी गुजरा लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा यह प्रोजेक्ट 1 साल में ही धराशाई हो गया, साल 2019 में इस प्रोजेक्ट को एक बार फिर जिंदा करने की कोशिश रंग लाई और शहर के चुनिंदा एक दर्जन से ज्यादा वाटर एटीएम फिर से शुरू हुए। लेकिन एक बार फिर रखरखाव के अभाव और काम करने वाले कर्मचारियों को सेलरी न देने के कारण यह प्रोजेक्ट बंद हो गया।
45 डिग्री में नहीं मिल पाता ठंडा पानी
मई के महीने में ग्वालियर चंबल अंचल में आसमानी पारा 45 डिग्री के पास पहुंच गया है, ऐसे में शहर के अंदर ठंडा पानी पीने के लिए लोग महंगी पानी की बोतल खरीदने को मजबूर है। जबकि जिन जगहों से लोग 20 रुपये की पानी की बोतल खरीद रहे हैं, वहीं पास में लगे वाटर एटीएम लोगों को सस्ती दर पर पानी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, एक रुपए में वाटर एटीएम के जरिये 300 मिली, 500 मिली पानी मिलता था, जबकि
तीन रुपए में एक लीटर, पांच रुपये में दो लीटर, आठ रुपए में और पांच लीटर पानी मिलता था। लोगो का कहना है की सस्ती दर पर मिलने वाले इस प्रोजेक्ट को एक बार फिर शुरू किया जाना चाहिए, क्योंकि यह प्रोजेक्ट गरीबो और आर्थिक रूप से कमजोर लोगो को सच मे अमृत पान ही करवाता था।
इस वजह से अधर में लटका काम
इस मामले पर ग्वालियर नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह का कहना है कि शहर के लिए यह प्रोजेक्ट बहुत अच्छा है, लेकिन जिस कंपनी द्वारा इसका संचालन किया जा रहा था, उसने काम बीच में छोड़ दिया जिसके चलते यह प्रोजेक्ट अधर में लटक गया, पुरानी कंपनी के साथ कुछ और नई कंपनियों से संपर्क किया जा रहा है, ताकि इस प्रोजेक्ट का फिर से एक बार संचालन शुरू किया जा सके।
ग्वालियर से कर्ण मिश्रा की रिपोर्ट