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अंग्रेजों के जमाने में बने इस रेलवे स्टेशन का इतिहास खत्म, अब ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन करने कैसे जाएंगे लोग?

Omkareshwar Railway Station Demolished : अंग्रेजों के जमाने में बने इस रेलवे स्टेशन का इतिहास समाप्त हो गया। 150 साल पुराने स्टेशन को तोड़ दिया गया। अब लोग ओंकारेश्वर मंदिर का दर्शन करने कैसे जाएंगे? आइए जानते हैं सबकुछ।

Edited By : Deepak Pandey | Updated: Oct 1, 2024 00:05
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Omkareshwar Railway Station
Omkareshwar Railway Station

(हरीश शर्मा, ओंकारेश्वर)

Omkareshwar Railway Station Demolished : अंग्रेजों के जमाने का बना ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन का इतिहास समाप्त हो गया। अब नया स्टेशन ब्रॉड गेज के लिए दो किलोमीटर दूर बनाया जा रहा है। 1872 में अंग्रेजों ने इस रेलवे स्टेशन का निर्माण करवाया था। 150 साल बीत जाने के बाद भी रेलवे स्टेशन इतना मजबूत था कि उसे तोड़ने में बड़ी-बड़ी मशीन लगी। इसके अंदर लगे लोहे उस समय की ईमानदारी की कहानी बयां कर रहे हैं, जो टूटने के बाद भी पूरी तरह से मजबूत है। अंग्रेजों ने आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान को जोड़ने के लिए हैदराबाद से लेकर अजमेर तक मीटर गैज लाइन का निर्माण करवाया था।

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मध्य भारत की सबसे बड़ी दो हजार किलोमीटर लंबी मीटर गेज लाइन डाली गई थी। इस रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों की सुविधा को देखते हुए इस रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया था, क्योंकि यहीं पर उतकर श्रद्धालु भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन करने के लिए जाते थे और फिर रेलवे स्टेशन से दक्षिण-पश्चिम जाने के लिए रेल में बैठकर अपने गंतव्य स्थान को जाते थे। खंडवा इंदौर इच्छापुर सड़क मार्ग पर स्थित नर्मदा किनारे बना ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन का निर्माण सिर्फ दो साल 1872-74 में हुआ था, लेकिन अब टूटकर पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है।

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लोहे समेत सभी चीजें निकलीं सुरक्षित

ब्रिटिश काल में इस रेलवे स्टेशन का निर्माण इतनी मजबूती से किया गया था। इसके निर्माण में बीम कालम में रेलवे लाइन की गाडरे लगाई गई थी, स्टील के सरिया, रेती, चुने, शीशम से छत भरी गई थी। तोड़ने के बाद भी पूरी तरह से सुरक्षित निकली है। 1995 में केंद्र में नरसिम्हा राव सरकार में सुरेश कलमाड़ी केंद्रीय रेल राज्य मंत्री थे। स्पेशल ट्रेन से इंदौर से ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन पहुंचकर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद जब वह फिर वापस स्टेशन पर आए तो उन्होंने रतलाम रेल मंडल के डीआरएम को निर्देश दिए कि ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन को ऊपर से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का स्वरूप दिया जाए। उसके बाद रेलवे विभाग स्टेशन के ऊपर मंदिर के स्वरूप में रेलवे स्टेशन को बनाया।

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जानें क्या कहते हैं लोग?

प्रसिद्ध समाजसेवी 75 वर्षीय अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके पिता स्वर्गीय बद्री विशाल मिश्रा बताते थे कि इसका निर्माण अंग्रेजों के जमाने में जब मीटरगेज की लाइन डाली थी, तब हुआ था। अंग्रेज बड़ी शक्ति से काम लेते थे। ग्राम पंचायत मोरघड़ी के 90 वर्षीय गोवर्धन पटेल ने बताया कि गांव के बुजुर्ग बताया करते थे कि अंग्रेजों के जमाने में रेलवे स्टेशन और नर्मदा नदी पर पुल का निर्माण किया गया था।

HISTORY

Edited By

Deepak Pandey

Edited By

Pushpendra Sharma

First published on: Sep 30, 2024 10:46 PM

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