Bhopal Satpura Bhavan: भोपाल के सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद अब तक इस अग्नि कांड की रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी गई है। लेकिन इस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार इस भवन को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है। बताया जा रहा है कि भवन को डिस्मेंटल भी किया जा सकता है। हालांकि अब तक इसको लेकर आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।
आग से भवन को हुआ काफी नुकसान
बताया जा रहा है कि अग्निकांड सतपुड़ा भवन को काफी नुकसान पहुंचा है। ऐसे में यहां आगे काम होगा या नहीं यह अब तक तय नहीं किया गया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सतपुड़ा भवन का टेक्निकल परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद ही कोई फैसला होगा। टेक्निकल परीक्षण के बाद ही यह तय किया जाएगा कि भवन का रिनोवेशन किया जाना है या फिर इसे डिस्मेंटल किया जाएगा।
पिघल गया अंदर लगा कांच
दरअसल, सतपुड़ा भवन में आग लगने से काफी नुकसान पहुंचा है। आग से भवन का तापमान इतना अधिक था कि बिल्डिंग में लगे कांच पिघल गए हैं। जांच दल को भवन में पिघला हुआ कांच है। बताया जा रहा है कि तेज आग की वजह से भवन भट्टी बन गया था। ऐसे में सतपुड़ा भवन की बिल्डिंग के कमजोर होने का अंदेशा है। पश्चिम विंग की चार, पांच और छह मंजिला पूरी तरह से जलकर खाक हो गई थी।जानकारी के मुताबिक 1700-1800 डिग्री सेल्सियस पर कांच पिघल जाता है। जबकि 2500 डिग्री पर लोहा पिघल जाता है। इसी वजह से बिल्डिंग के कमजोर होने की संभावना है।
बताया जा रहा है कि सतपुड़ा भवन को ज्यादा नुकसान होने की वजह से इसे डिस्मेंटल किया जा सकता है। अफसर इस पर मंथन करने में जुटे हैं। इस बात की जानकारी सरकार को भी दी गई है। हालांकि आखिरी फैसला भवन की तकनीकी रिपोर्ट के बाद ही किया जाएगा।
1982 में बना था सतपुड़ा भवन
बता दें कि सतपुड़ा भवन भोपाल की सबसे पुरानी प्रशासनिक बिल्डिंगों में से एक हैं। ठीक इसके सामने ही मंत्रालय बना हुआ है। सतपुड़ा भवन को बनाने की शुरुआत 1980 में हुई थी। जबकि 1982 में यह भवन पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया था। जिसके बाद यहां सरकारी दफ्तरों को शिफ्ट करना शुरू कर दिया गया था। इस छह मंजिला इमारत में चार विंग हैं। जिनमें अलग-अलग विभागों के दफ्तर हैं।