---विज्ञापन---

‘पहला निवाला खाया तो लगा ऊपर वाला आया है…’ उत्तरकाशी टनल से बाहर आया चमरा ओरांव, सुनाई आपबीती

Jharkhand  Khunti Chamra Oraon Story: झारखंड के खूंटी के रहने वाले चमरा ओरांव 17 दिनों के बाद टनल से बाहर आये तो उनका परिवार खुशी से झूम उठा। उनके लिए तो दिवाली कल ही थी।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Nov 29, 2023 11:40
Share :
Jharkhand Khunti Chamra Oraon Story
Jharkhand Khunti Chamra Oraon Story

Jharkhand  Khunti Chamra Oraon Rescue Story: उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिन बाद मंगलवार शाम बाहर निकाल लिया गया। सभी मजदूर 12 नवंबर की सुबह टनल में काम कर रहे थे तभी अचानक आए मलबे ने रास्ता बंद कर दिया और 41 मजदूर सुरंग में ही फंस गए। टनल से बाहर आने के बाद सभी मजदूरों और उनके परिजनों समेत पूरे देश खुशियों से झूम उठा।

टनल से बचाए गए 41 मजदूरों में से एक झारखंड के खूंटी जिले के 32 वर्षीय चमरा ओरांव भी शामिल हैं। सुरंग से बाहर आने के बाद चमरा ने इंडियन एक्सप्रेस को बातचीत में बताया कि 17 दिनों तक मैंने टनल में अपने फोन पर लूडो खेलना, पहाड़ के प्राकृतिक पानी में स्नान, मुरमुरे और इलायची के दानों के स्वाद ने उनके जीवन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ओरांव ने बताया कि उन्हें 17 दिन बाद ताजी हवा की गंध एक नए जीवन की तरह महसूस हुई। उन्होंने बचाने का श्रेय 17 दिनों तक अथक प्रयास करने वाले बचावकर्मियों और ईश्वर को दिया।

News24 Whatsapp Channel

समय बताएगा वापस आउंगा या नहीं

ओरांव ने कहा कि हम भगवान में विश्वास करते थे इससे हमें ताकत मिली है। हमें भी विश्वास था कि 41 लोग फंसे हैं तो कोई ना कोई बचा लेगा। मैं जल्द से जल्द अपनी पत्नी और बच्चों के पास जाना चाहता हूं। उनसे मिलने के लिए और इंतजार नहीं कर सकता। ओरांव ने कहा कि वह हर महीना 18 हजार रुपये कमाता है केवल समय ही बताएगा कि वह वापस आएगा कि नहीं।

ओरांव ने उस खौफनाक दिन को याद करते हुए कहा कि वह 12 नवंबर की सुबह काम कर रहे थे, तभी उन्होंने जोरदार आवाज सुनी और मलबा गिरते देखा। मैं अपनी जान बचाने के लिए भागा लेकिन गलत दिशा में फंस गया। लेकिन जैसे ही हमें लगा कि अब हम लंबे समय तक यहां रहना होगा तो उसके बाद हम बेचैन हो गए। हमने मदद के लिए भगवान से प्रार्थना की और कभी उम्मीद नहीं खोई।

हम लोगों ने एक-दूसरे से बात कर बिताया समय

ओरांव ने कहा कि करीब 24 घंटे बाद अधिकारियों ने मुरमुरे और इलायची के बीज भेजे। जब मैंने पहला निवाला खाया, तो हमें लगा कि कोई ऊपर वाला हमारे पास आया है हम बहुत खुश थे। हमें आश्वासन दिया गया था कि हमें बचा लिया जाएगा, लेकिन समय गुजारने की जरूरत थी। इसलिए हमने खुद को फोन पर लूडो में डुबो दिया। हालांकि नेटवर्क नहीं होने के कारण हम किसी को कॉल नहीं कर सकते थे। उन्होंने कहा कि इस दौरान हमने आपस में बातें की और एक-दूसरे को जाना। ओरांव ने कहा कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं हालांकि वह घर पहुंचने के बाद तय करेंगे कि उन्हें आगे क्या करना है।

First published on: Nov 29, 2023 07:30 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें